'ब्रेस्ट दबाना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं', इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर SC की सुप्रीम रोक, कहा- बहुत ही असंवेदनशील...

Supreme court Stays Allahabad HC Order That Ruled Groping breast not attempt To Rape: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दि जिसमें HC ने कहा था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट दबाना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे ले जाना रेप का प्रयास नहीं माना जा सकता.

Imran Khan claims
Social Media

Supreme court Stays Allahabad HC Order That Ruled Groping breast not attempt To Rape: हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक फैसला विवादों में आ गया था. कोर्ट ने कहा था कि एक नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट दबाना, उसका पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे नाले के नीचे खींचने की कोशिश करना, रेप के प्रयास के रूप में नहीं माना जा सकता. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे "शॉकिंग" और "असंवेदनशील" कहा और यह माना कि इस तरह के विचार कानून के खिलाफ हैं.

सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने कहा कि आदेश पारित करने वाले हाई कोर्ट के जज ने मामले को संभालने में "पूरी तरह से असंवेदनशीलता" दिखाई. इसके साथ SC ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के जज के लिए कठोर शब्द इस्तेमाल खेदजनक है. लेकिन यह एक बहुत ही गंभीर मामला है.

SC ने यूपी और केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

सुनवाई पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- "चूंकि पैरा 24, 25, 26 में की गई टिप्पणियां कानून के मुताबिक मान्य नहीं हैं और असंवेदनशीलता दर्शाती हैं. इसलिए हम इस पर रोक लगाने के लिए इच्छुक हैं. हम केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जार कर रहे हैं. एजी और एसजी इस मामले में कोर्ट की सहायता करने में सक्षम हैं."

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. इस फैसले में कहा गया था कि अगर आरोपी एक नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट दबाते हैं, उसका पायजामे का नाड़ा तोड़ते हैं और उसे नाले के नीचे खींचने की कोशिश करते हैं, तो यह रेप के प्रयास के तहत नहीं आता. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गावई और जस्टिस ए.जी. मसिह ने इस फैसले को "शॉकिंग" और "असंवेदनशील" बताया.

हाई कोर्ट का विवादास्पद आदेश बना था चर्चा का विषय

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ आरोपों को बदल दिया था. कोर्ट ने कहा था कि यह घटना रेप के प्रयास के रूप में नहीं आती, क्योंकि आरोपियों का इरादा रेप करने का नहीं था. कोर्ट ने इसे केवल एक प्रयास माना, जबकि पीड़िता के साथ बहुत बुरा हुआ था. इस फैसले के बाद समाज में नाराजगी फैल गई थी.

समाज और कानून में असंवेदनशीलता

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह भी कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला बहुत ही असंवेदनशील था. कोर्ट ने कहा कि ऐसे बयान कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्टे लगाते हुए सरकार से इस पर जवाब मांगा है.

India Daily