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कोटे के अंदर कोटे से किसे होगा फायदा? समझ लीजिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से किसके 'अच्छे दिन' आएंगे

Supreme Court decision on SC and ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को फैसला सुनाया कि एससी/एसटी के अंदर शामिल अति पिछड़ी जातियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए रिजर्वेशन के अंदर कोटा बना सकते हैं. यानी SC/ST में शामिल जातियों के लिए कोटे के अंदर कोटा दिया जाएगा. 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के विपरीत फैसला सुनाया था. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ही फैसले को बदल दिया है.

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Edited By: Piyush Sharma
Supreme Court
Courtesy: Social Media

Supreme Court decision on SC and ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्वेशन में कोटे के अंदर कोटे मामले में अपना फैसला सुना दिया है. SC के फैसले के अनुसार राज्य अब अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) को सब कैटेगरी में बांटकर आरक्षण दे सकती हैं.  सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने 2004 के अपने ही फैसले को बदल दिया है.  इन समूहों के भीतर कोटे के अंदर कोटा दिया जा सकेगा, जिसका उद्देश्य अधिक वंचित उप-समूहों को बेहतर सहायता प्रदान करना है. 20 साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि SC और ST खुद में ही एक समहू हैं. इनमें शामिल जातियों को बांटकर आरक्षण नहीं दिया जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अंदर शामिल उन जातियों के लिए अच्छे दिन के द्वार खोल दिए हैं जो अति पिछड़ी हैं. अब राज्य सरकार एससी और एसटी के अंदर आने वाली जातियों को आरक्षण के अंदर अलग से कोटा दे सकती हैं. संविधान पीठ की 7 जजों की पीठ ने 6-1 के बहुमत से अपना फैसला सुनाया.

SC/ST आरक्षण में सब कैटेगरी बनाने के लिए होंगी शर्ते

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि कोई भी राज्य आरक्षण के अंदर सब कैटेगरी कोटा तय करते वक्त किसी भी एक जाति को 100 फीसदी आरक्षण नहीं दे सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित  जाति और जनजाति के भीतर किसी जाति का कोटा तय करते वक्त उस जाति की हिस्सेदारी का पुख्ता डाटा होना जरूरी है. यानी पुख्ता डाटा के बिना किसी जाति को कोटा नहीं दिया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट की 7 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में सिर्फ कुछ ही जातियों को आरक्षण मिलता है. ऐसे में SC/ST में शामिल कुछ जातियों के लिए आरक्षण में अलग से कोटा मिलना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से किसे होगा फायदा?

बेंच में शामिल CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है. क्योंकि सब कैटेगरी को सूची से बाहर नहीं रखा गया है. सूची के अंदर ही सब कैटेगरी बनाई जाएगी.  

1 अगस्त को आरक्षण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए इस ऐतिहासिक फैसले का भविष्य में बहुत बड़ा असर पड़ सकता है. जस्टिस बीआर गवई ने अपने फैसले में कहा कि राज्य का कर्तव्य है कि वह  अति पिछड़े समुदाय को प्राथमिकता दे. एस और एसटी वर्ग में कुछ ही लोग आरक्षण का लाभ सही से उठा पा रहे हैं. जमीनी हकीकत इसके विपरीत है. एससी/एसटी के अंदर ऐसी कई जातियां हैं जिन्होंने सदियों से उत्पीड़न का सामना किया है. रिजर्वेशन में कोटे में कोटा के फैसले में शामिल इस बिंदु ने साफ कर दिया है कि इस फैसले का फायदा किसे होने वाला है.