सिर्फ जेल में रखने के लिए बार-बार चार्जशीट नहीं फाइल कर सकती ED, जानें क्यों सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी को लगाई फटकार

Supreme Court On ED: जेल में बंद बिना ट्रायल लोगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी पर टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि कि ईडी आरोपियों को जेल में रखने के लिए लगातार आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकती है. 

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Supreme Court On ED: सुप्रीम कोर्ट ने बिना ट्रायल लोगों को लगातार जेल में रखने को लेकर ईडी पर सवाल उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी आरोपी को जेल में रखने के लिए ईडी लगातार चार्जशीट नहीं दायर कर सकती है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने जांच एजेंसी ईडी से कहा कि किसी भी आरोपियों को बिना मुकदमे प्रभावी ढंग से जेल में रखने की प्रथा सुप्रीम कोर्ट को परेशान करती है.

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति खन्ना ने ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू से कहा कि डिफ़ॉल्ट जमानत का उद्देश्य बताते हुए कहा कि आप जांच पूरी होने तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं करते हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और ट्रायल शुरू नहीं होता तब तक आप चार्जशीट दाखिल नहीं करते रह सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कही ये बात?

सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें झारखंड के अवैध माइनिंग मामले में आरोपी प्रेम प्रकाश की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कही है. दरअसल, अवैध माइनिंग के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने प्रकाश को जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. प्रकाश की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्होंने 18 महीने जेल में बिताए है और इसे जमानत देने का आधार बताया है.

जमानत का विरोध करने के पीछे ED ने बताई वजह

कोर्ट के इस सवाल पर ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू ने कहा कि अगर आरोपियों को रिहा कर दिया जाता है तो सबूतों या गवाहों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. हालांकि, कोर्ट ने अपनी असहमति जताते हुए कहा कि अगर वह ऐसा कुछ भी करते हैं तो आप हमारे पास आएं लेकिन 18 महीने सलाखों के पीछे? 

आपको बताते चलें अप्रैल 2023 में भी कोर्ट ने एक एसी ही टिप्पणी की थी. न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ ने कहा था कि जांच पूरी किए बिना, किसी गिरफ्तार आरोपी को डिफॉल्ट जमानत के अधिकार से वंचित करने के मकसद से जांच एजेंसी आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकती है.