Mahakumbh Stampede: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में उठाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने घटना को बताया 'दुर्भाग्यपूर्ण'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ भगदड़ को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार दिया, लेकिन देशभर से आने वाले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई भी नया निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया. अदालत ने साफ किया कि इस मामले में उचित कार्यवाही के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ही सही मंच है.
याचिका में प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी, जिसमें मांग की गई थी कि मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए. याचिका में कहा गया कि हादसे में कई लोगों की जान गई, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से पारदर्शी जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.
याचिका में सुविधाओं को बढ़ाने की भी मांग
वहीं बता दें कि याचिका में यह भी सुझाव दिया गया था कि महाकुंभ में सभी राज्यों के सुविधा केंद्र स्थापित किए जाएं, ताकि गैर-हिंदी भाषी श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई आदेश पारित करने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में होनी चाहिए.
सरकार पर उठ रहे सवाल
इसके अलावा आपको बता दें कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में प्रशासन की ओर से सुरक्षा चूक को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर भी आ गई है. भगदड़ की वजह से सैकड़ों श्रद्धालुओं की जान जाने की खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया गया है.
बहरहाल, अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या भगदड़ में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी या नहीं.