Farmer Protest: 'सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं', पंजाब के किसानों को टॉप अदालत से मिला बड़ा भरोसा
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि किसानों को मनाने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन यदि वे बातचीत के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो उन्हें अपनी समस्याओं को कोर्ट में लाने की अनुमति दी जानी चाहिए.
Farmer Protest: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (18 दिसंबर) को किसानों के आंदोलन को लेकर अहम टिप्पणी की. इस दौरान कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफतौर से कहा कि “किसानों की मांगों और सुझावों के लिए कोर्ट के दरवाजे हमेशा खुले हैं.” यह बयान उस समय आया जब किसानों ने पंजाब सरकार द्वारा गठित समिति के साथ बातचीत करने से इंकार कर दिया. पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, जबकि कई बैठकें किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो कि अनिश्चितकालीन उपवास पर हैं, उसके साथ आयोजित की गईं, किसानों ने राज्य की उच्चस्तरीय समिति के साथ बातचीत से इंकार कर दिया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि किसानों को मनाने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन यदि वे बातचीत के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो उन्हें अपनी समस्याओं को कोर्ट में लाने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके जवाब में, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, "हम स्पष्ट करते हैं कि कोर्ट के दरवाजे हमेशा खुले हैं, चाहे किसान सीधे अपने सुझाव या मांगें लाएं या उनके अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से ही क्यों न हों.
सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति का लिया संज्ञान
इस दौरान कोर्ट ने किसान नेता डल्लेवाल की स्वास्थ्य स्थिति का भी संज्ञान लिया और पंजाब सरकार से तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने को कहा है. दरअसल, वरिष्ठ किसान नेता ने पहले चिकित्सा सहायता से इनकार कर दिया था. पटियाला के सरकारी राजिंदरा अस्पताल से चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम को चौबीसों घंटे उनके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए तैनात किया गया है.
डल्लेवाल का अनशन और किसानों की अन्य योजनाएं
70 वर्षीय डल्लेवाल, जो कैंसर के मरीज भी हैं, 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर आमरण अनशन पर हैं, ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके कि वह प्रदर्शनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करे, जिसमें फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी भी शामिल है. डल्लेवाल के 23 दिन के अनशन के अलावा, किसानों ने राज्य भर में 52 स्थानों पर तीन घंटे के लिए 'रेल रोको' मार्च की भी योजना बनाई है. डल्लेवाल के 23 दिनों के उपवास ने सरकार और न्यायपालिका दोनों का ध्यान आकर्षित किया है.