Supreme Court On MBBS Intern Stipend: मेडिकल कॉलेज की ओर से एमबीबीएस इंटर्न्स को पर्याप्त स्टाइपेंड नहीं दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. मेडिकल छात्रों की ओर से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ से असंतोष व्यक्त की है. न्यायमूर्ति धूलिया ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कैसे मेडिकल कॉलेज इतनी भारी फीस ले रहे हैं और पर्याप्त स्टाइपेंड देने के लिए भी तैयार नहीं हैं.
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि वे किस तरह के मेडिकल कॉलेज हैं? वे एक करोड़ चार्ज कर रहे हैं, मुझे नहीं पता कि पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों से कितना चार्ज किया जा रहा है और इंटर्न्स को स्टाइपेंड देने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि या तो आप उन्हें भुगतान करें, या फिर इंटर्नशिप नहीं कराएं.
आपको बताते चलें कि यह वही मामले है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को एक शिकायत का जवाब देने का निर्देश दिया था. इस निर्देश में कहा गया था कि 70 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज एमबीबीएस इंटर्न को स्टाइपेंड नहीं देते हैं या न्यूनतम निर्धारित स्टाइपेंड नहीं देते. दरअसल, आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के स्टूडेंट की ओर से एक रिट याचिका दायर की गई थी. इस मामले में पिछले साल कोर्ट ने एकक आदेश में मेडिकल इंटर्न को स्टाइपेंड के रूप में 25 हजार रुपए प्रति माह देने के निर्देश दिए थे.