Supreme Court on EC: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले एक विवादास्पद नए कानून पर रोक लगाने से दूसरी बार इनकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने याचिका को इस केस में लंबित मामलों की सूची में जोड़ दिया है. निर्देश दिया है कि इन सभी पर आम चुनाव से कुछ दिन पहले अप्रैल में सुनवाई की जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
नई याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से दायर की गई है. से संस्था देश में चुनावी और राजनीतिक सुधारों पर काम करने वाले एक अराजनीतिक, गैर-पक्षपातपूर्ण और गैर-लाभकारी संगठन है. सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई में एडीआर के लिए एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड प्रशांत भूषण ने बहस की. उन्होंने कहा कि कानून पर अब प्रतिबंध लगाना होगा, क्योंकि चुनाव आयुक्तों में से एक अनूप चंद्र पांडे कल रिटायर होने वाले हैं.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले में असहमति जताई. कहा कि संवैधानिक वैधता के मामले कभी भी निष्फल (अनावश्यक) नहीं होते हैं. पीठ ने प्रशांत भूषण से कहा कि क्षमा करें, हम आपको अंतरिम राहत नहीं दे सकते हैं. संवैधानिक वैधता का मामला कभी भी निरर्थक नहीं होता है. हम अंतरिम राहत देने के अपने मापदंडों को जानते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले महीने भी सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की जया ठाकुर की याचिका पर भी कानून पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन कहा था कि वह इसका परीक्षण करने के लिए तैयार है. केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था. जया ठाकुर की याचिका में भी उस कानून पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई है. इसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पीएम मोदी और भाजपा का हस्तक्षेप चुनाव को प्रभावित कर सकता है. आरोप लगाया कि इस तरह भाजपा का चुनाव आयोग पर नियंत्रण हो जाएगा.
आलोचकों ने नियुक्ति पैनल में राजनेताओं की मौजूदगी से पैदा होने वाले किसी भी संभावित लाभ के टकराव को संतुलित करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने का आह्वान किया था. दरअसल, पिछले साल मार्च में कोर्ट ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीश पैनल के तीसरे सदस्य होंगे. हालांकि, उस फैसले को विवादास्पद रूप से पलट दिया गया था. सरकार ने मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर प्रधानमंत्री की ओर से नामित केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक सदस्य को नियुक्त करने वाला एक विधेयक पारित किया.