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Maharashtra Assembly Election: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र चुनाव में अजित पवार गुट को दी NCP की 'घड़ी' इस्तेमाल करने की मंजूरी, लेकिन रखी ये शर्त

Maharashtra Assembly Election: सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अजित पवार गुट को राहत मिली है, लेकिन कोर्ट ने जो शर्तें लगाई हैं, उनका पालन करना अनिवार्य होगा. सुप्रीम कोर्ट के शर्तों के साथ अजित पवार की NCP महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मेंं चुनाव चिन्ह घड़ी का इस्तेमाल कर सकती है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Ajit Pawar and Sharad Pawar
Courtesy: Social Media

Maharashtra Assembly Election: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अजित पवार गुट को 'घड़ी' चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की इजाजत दी है. लेकिन इसके साथ कोर्ट ने शर्त भी रखी है. अजित गुट की NCP को सुप्रीम कोर्ट की शर्तों का पालन करना अनिवार्य होगा. 

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को यह अनुमति दी कि वे आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 'घड़ी' चिह्न का इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने यह शर्त रखी है कि सभी चुनावी प्रचार सामग्री, जैसे बैनर, पोस्टर और विज्ञापनों में यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है.

शरद पवार गुट ने चुनाव चिन्ह को लेकर जताई थी आपत्ति

शरद पवार गुट ने अदालत में याचिका दायर कर यह मांग की थी कि अजित पवार गुट को 'घड़ी' चिह्न के इस्तेमाल से रोका जाए. उनका दावा था कि अजित पवार गुट अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रहा है और इस चुनाव चिह्न का उपयोग कर रहा है. शरद पवार गुट ने यह भी कहा कि अजित गुट को नए चुनाव चिह्न के लिए आवेदन करना चाहिए.

SC ने अजित पवार गुट को दी सख्त हिदायत

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां शामिल थे, ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने अजित पवार गुट के वकील को निर्देश दिया कि वे एक नया हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट हो कि अतीत में आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया और भविष्य में भी इसका पालन किया जाएगा. कोर्ट ने चेतावनी भी दी कि यदि आदेश का उल्लंघन किया गया, तो अवमानना का मामला स्वतः शुरू 

6 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को तय की है, जिसमें दोनों गुटों के दावे और जवाब पर आगे चर्चा की जाएगी. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि दोनों पक्षों को उसके आदेश का पालन करना होगा और ऐसे हालात से बचना होगा जो उनके लिए शर्मनाक साबित हो सकते हैं.