भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर 80 दिनों से स्पेस स्टेशन में फंसे हुए हैं. स्पेसक्राफ्ट में खराबी के चलते दोनों वहां से अभी तक वापस नहीं लौट पाए हैं. नासा दोनों को लाने के लिए प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है.
सुनीता विलियम्स और बुचविलमोर 6 जून से अंतरिक्ष में फंसे हुए हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे शीघ्र ही पृथ्वी पर वापस आ जाएंगे, लेकिन नासा का कहना है कि उन्हें अगले कुछ दिन भी अनिश्चितता में बिताने पड़ सकते हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नासा शनिवार को सुनीता विलियम्स को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान या स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से पृथ्वी पर वापस लाने के बारे में अंतिम निर्णय लेगी.
अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा कि एस्ट्रोनॉट के साथ स्टारलाइनर को पृथ्वी पर वापस लाने के बारे में नासा का निर्णय एजेंसी स्तर की समीक्षा के बाद 24 अगस्त (शनिवार) से पहले होने की उम्मीद नहीं है. विलियम्स और विलमोर के लिए अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर आठ दिन की यात्रादो महीने की हो गई है.
स्पेश में जाने से पहले स्टारलाइनर कैप्सूल में तकनीकी समस्या आई थी. जैसे ही स्टारलाइनर परिक्रमा करने वाली प्रयोगशाला के पास पहुंचा अंतरिक्ष यान में कई तकनीकी समस्याएं आईं. हालांकि इंजीनियर पांच में से चार खराब थ्रस्टरों को वापस चालू करने में सफल रहे. इसमें स्टारलाइनर पर 28 थ्रस्टर हैं. इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है. वहीं हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है.
नासा का एक्सपीडिशन-71 नाम का एक अभियान 5 अप्रैल 2024 को शुरू हुआ था. ये सिंतबर 2024 में खत्म होगा. इसके तहत कुल 9 एस्ट्रोनॉट्स अभी ISS पर मौजूद हैं. इनमें सुनीता और विलमोर के अलावा 4 अन्य अमेरिकी और 3 रूसी एस्ट्रोनॉट्स हैं. आने में भी कई तरह की दिक्कतें हैं अगर स्पेसक्राफ्ट गलत एंगल से पृथ्वी के वायुमंडल में घुसा तो हवा के घर्षण और उससे उपजी गर्मी के आगे स्टारलाइनर की हीट शील्ड फेल हो सकती है. इससे स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से पहले ही जलकर भाप बन सकता है. अगर ऐसी स्थिति बनती है तो एस्ट्रोनॉट्स की मौत हो जाएगी.