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Success Story: पेंटर पिता की मौत, साइबर कैफे में काम कर परिवार संभाला; अब सेना में अफसर बना धारावी का लड़का

Success Story: एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी से निकलकर एक युवक ने सफलता की नई कहानी लिखी है. झुग्गी बस्ती के रहने वाले उमेश कीलू के लिए उनकी सफलता किसी बड़े सपने के सच होने जैसा है. चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) से ग्रेजुएशन कर उमेश कीलू इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट बने हैं.

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Edited By: India Daily Live
dharavi youth army officer

Success Story: महाराष्ट्र के धारावी के 26 साल के उमेश कीलू ने उन लाखों युवाओं के सपनों को नई पंख दी है, जो किसी न किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. इनमें से कई युवा ऐसे भी होंगे, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी. ऐसी ही स्थिति उमेश कीलू की भी थी. उनके पिता पेशे से पेंटर थे और अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ धारावी के छोटे से कमरे में रहते थे. अचानक हार्ट अटैक से मौत के बाद सारी जिम्मेदारी उमेश के सिर पर आ गई. सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए उमेश अब सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं.

उमेश, धारावी के पहले युवा हैं, जो सेना में अफसर बने हैं. सेना की वर्दी पहनने से कई साल पहले उमेश ने गरीबी से आमने-सामने की लड़ाई लड़ी. अब वे आतंकवाद से दो-दो हाथ करेंगे. टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उमेश ने चेन्नई से फोन पर बताया कि मेरे पिता पेशे से पेंटर थे. 2013 में वे लकवा के शिकार हो गए. मार्च 2023 में मुझे सेना में ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना था. रिपोर्ट करने से एक दिन पहले ही हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई. शनिवार को मैंने अपने 11 महीने की ट्रेनिंग को पूरा कर लिया और सेना में अधिकारी बन गया.

कठिन परिस्थितियों में परवरिश ने बनाया सफलता के काबिल

उमेश कीलू की परवरिश काफी विषम परिस्थितियों में हुई. उमेश के मुताबिक, उन्होंने छात्रवृति के जरिए पढ़ाई की और परिवार के खर्च के लिए साइबर कैफे में भी काम किया. उमेश ने IT में BSc पूरी की और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री ली है. उमेश ने बताया कि मैंने 3 साल तक टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में भी काम किया और उसके बाद वीकेंड में ब्रिटिश काउंसिल में भी काम किया. उन्होंने बताया कि इन सभी कामों को कर मैंने अपने पिता के इलाज का खर्च भी उठाया. 

13 प्रयासों के बाद पास की SSB परीक्षा

उमेश ने बताया कि NCC में मिली शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्होंने सेना में करियर बनाने की ओर से फोकस किया. उन्होंने बताया कि 13 प्रयासों के बाद मैं SSB (सेवा चयन बोर्ड) परीक्षा पास करने में कामयाब रहा. बातचीत के दौरान उमेश ने धारावी की विषम परिस्थितियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वहां के काफी युवा बेरोजगार हैं. मुझे उम्मीद है कि मेरी सफलता के बाद धारावी के काफी युवाओं को प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने कहा कि मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि अगर आप अपने जीवन में कुछ लक्ष्य बना रहे हैं और कड़ी मेहनत कर रहे हैं, तो आप अपना लक्ष्य हासिल कर लेंगे. तैयार रहें, आगे बढ़ें, सभी समस्याओं का सामना करें, बाधाओं का सामना करें, भले ही आप अपनी परीक्षा में असफल हो जाएं, लेकिन अभ्यास करते रहें.

आइए, धारावी के बारे में ये फैक्ट्स जान लेते हैं

धारावी झुग्गी बस्ती वाला बड़ा इलाका है. यहां 60 से 70 हजार से अधिक परिवार रहते हैं. जनसंख्या के नजर से देखा जाए, तो इसे छोटा भारत कहना गलत नहीं होगा. 200 हेक्टेयर यानी 500 एकड़ में फैले धारावी की साक्षरता दर 69 प्रतिशत है, जो देश के स्लम इलाकों में सबसे अधिक है. मध्य रेलवे के सायन-माटुंगा स्टेशनों और पश्चिमी रेलवे के बांद्रा-माहिम स्टेशनों के आस-पास फैला धारावी एक व्यापारिक केंद्र भी है.

धारावी की कुल आबादी का करीब 45 प्रतिशत मुस्लिम है और बाकी में हिंदू, ईसाई और नव-बौद्ध शामिल हैं. यहां अधिकांश प्रवासी बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक से हैं. इसमें कपड़ा से लेकर मिट्टी के बर्तन, निर्माण से लेकर चमड़ा उद्योग तक कई बिजनेस यूनिट्स हैं. यहां बनाए गए प्रोड्क्ट को मिडिल ईस्ट, अमेरिका और यूरोप तक भेजा जाता है.