उत्तराखंड में चार धाम यात्रा मार्ग पर भूस्खलन की संभावनाओं को लेकर एक बड़ी स्टडी सामने आई है. उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (UDMA) द्वारा किए गए एक विस्तृत अध्ययन में 54 भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का पता चला है. यह अध्ययन लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर (LMMC) द्वारा किया गया है, जिसका उद्देश्य यात्रा मार्ग के दौरान भूस्खलन के जोखिमों का प्रबंधन करना है.
भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की सूची
तीन श्रेणियों में विभाजित भूस्खलन क्षेत्र
अधिकारियों ने भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटा है, जो संबंधित विभागों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं:
रुद्रप्रयाग से जोशीमठ मार्ग – इस क्षेत्र में 32 भूस्खलन संभावित स्थल हैं, जिन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रबंधित किया जाता है.
ऋषिकेश से श्रीनगर मार्ग – इस मार्ग में 17 भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिन्हें लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा संभाला जाता है.
जोशीमठ से बदरीनाथ मार्ग – इस मार्ग पर पांच भूस्खलन संभावित स्थल हैं, जिनका प्रबंधन बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) करता है.
भूस्खलन पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी
उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के सचिव, विनोद कुमार सुमन ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में बताया कि प्रत्येक क्षेत्र के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसमें भूस्खलन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा. यह रिपोर्ट चार धाम यात्रा मार्ग पर होने वाले भूस्खलनों के कारणों और प्रभावों का गहन विश्लेषण करेगी.
ड्रोन तकनीक का उपयोग
इस अध्ययन में उन्नत तकनीकी समाधानों का भी उपयोग किया गया है. उत्तराखंड डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी द्वारा 'नभनेत्र' नामक विशेष ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह ड्रोन भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की निगरानी के लिए वास्तविक समय (रियल टाइम) डेटा प्रदान करता है, जिससे अधिकारियों को खतरे के समय त्वरित कार्रवाई करने में मदद मिलती है. यह पहल विशेष रूप से मानसून सीजन के दौरान यात्रा मार्ग पर ट्रैफिक जोखिम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए है.
वैज्ञानिकों ने चारधाम मार्ग को बताया था खतरनाक
बता दें कि चारधाम यात्रा मार्ग को लेकर वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया था और अपने इस अध्ययन में इस मार्ग को उत्तराखंड के ईकोसिस्टम के लिए खतरनाक बताया था. वैज्ञानिकों का कहना था कि इस मार्क के चौड़ीकरण से पहाड़ कमजोर होंगे और भविष्य में इस मार्ग पर खतरनाक लैंडस्लाइड की घटना देखने को मिल सकती हैं.