menu-icon
India Daily

क्या है उस मुनक नहर की कहानी, जिसके पानी के लिए बिठाना पड़ता है पहरा

Munak Canal: दिल्ली पर जल संकट आते ही हर बार मुनक नहर का जिक्र आता है. क्या आपको पता है कि मुनक नहर कहां से आती है, इसकी अहमियत क्या है? सालों से दिल्ली और हरियाणा के बीच विवाद की वजह बनी यह नहर 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के समय भी निशाने पर आई थी और आंदोलनकारियों ने इसे तोड़ दिया था. उस वक्त भी इसकी रखवाली के लिए सुरक्षाबलों की मदद लेनी पड़ी थी. इस बार टैंकर माफिया से इसका पानी बचाने के लिए पहरा बिठाना पड़ा है.

auth-image
Edited By: Nilesh Mishra
 Munak Canal
Courtesy: Social Media

दिल्ली को अपने पीने के पानी के लिए भी कई अन्य राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है. यही वजह है कि हर बार पानी का संकट आने पर यह लड़ाई कभी हाई कोर्ट जाती है तो कभी सुप्रीम कोर्ट जाती है. पानी की इस जंग में हर बार मुनक नहर का जिक्र जरूर आता है. हरियाणा से दिल्ली तक पानी लाने वाली यह नहर हर बार चर्चा में आती है. अब पानी की चोरी रोकने के लिए और टैंकर माफिया को रोकने के लिए अलग से सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाने की बात कही जाने लगी है. हरियाणा से 750 क्यूसेक पानी लाने वाली यह नहर दिल्ली के कई बड़े वाटर प्लांट के लिए मुख्य स्रोत है. ऐसे में पानी को लेकर होने वाले विवाद में हर बार इसकी चर्चा जरूर होती है.

हरियाणा से दिल्ली तक आने वाली इस नहर से पानी का नुकसान न हो इसीलिए इसे पक्की नहर बनवाया गया था. अंग्रेजों के समय बनी इस नहर को मजबूत करवाया गया. इसके बावजूद, नहर के आसपास टैंकर माफिया बोरवेल खुदवाते हैं, कई जगहों पर सीधे नहर से पानी की चोरी के मामले भी सामने आते रहे हैं. यही वजह है कि जल संकट के समय इस नहर की निगरानी करने की बात कही जा रही है.

क्या है विवाद की वजह?

हर साल हरियाणा से मुनक नहर में 1050 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है. इसमें से 990 क्यूसेक पानी दिल्ली के एंट्री प्वाइंट पर पहुंचता है. हाल ही में इसका स्तर 840 क्यूसेक ही रह जाने की वजह से हंगामा बरपा है. नतीजा यह हुआ है कि वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का उत्पादन घट गया है. इसी को लेकर दिल्ली सरकार और हरियाणा सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी चल रहे हैं. इस मामले में हिमाचल सरकार पर भी दिल्ली सरकार ने सवाल उठाए हैं कि उसने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं छोड़ा.

हथिनी कुंड बैराज
हथिनी कुंड बैराज Credit: Social Media

क्या है मुनक नहर की कहानी?

मुनक नहर से पहले यह समझने की जरूरत है कि हथिनी कुंड बैराज क्या है. यमुना नदी के बहाव को संभालने के लिए हरियाणा के यमुना नगर में इस नदी पर एक बैराज बनाया गया है. यहां से यमुना नदी से दो नहरें निकाली गई हैं. पश्चिमी यमुना कैनाल और पूर्वी यमुना कैनाल. पूर्वी यमुना कैनाल उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और शामली जैसे जिलों में पानी ले जाती है. वहीं, पश्चिमी यमुना कैनाल हरियाणा के यमुनानगर, सोनीपत और पानीपत जैसे जिलों से होकर बहती है.

यही पश्चिमी यमुना कैनाल हरियाणा के कई जिलों के साथ-साथ दिल्ली तक भी पानी पहुंचाती है. हरियाणा में एक गांव है मुनक. इसी गांव के पास पश्चिमी यमुना कैनाल पर मुनक रेगुलेटर बनाई गई है. यहां से एक हांसी ब्रांच हरियाणा में जाती है और दूसरी मुनक नहर दिल्ली में आती. मुनक नहर मुनक गांव के पास से शुरू होकर दिल्ली में नजफगढ़ ड्रेन यानी साहिबी नदी में आकर मिल जाती है. इसके अलावा, ड्रेन नंबर 2 और ड्रेन नंबर 8 भी हैं जो यमुना नदी तक पानी लाती हैं.

मुनक रेगुलेटर
मुनक रेगुलेटर Credit: SANDRP

इसी मुनक नहर पर खुबरू में एक और रेगुलेटर बनाई गई है. यहीं से बजाना, सरदाना, भैंसवाल समेत कई अन्य ब्रांच भी निकलती हैं. यानी मुनक नहर का पानी यहां से और बंट जाता है. नजफगढ़ ड्रेन पहुंचने से पहले ककरोई से एक और ब्रांच निकलती है. पश्चिमी यमुना कैनाल की एक ब्रांच इंद्रलोक मेट्रो के पास नजफगढ़ ड्रेन से आकर मिलती है. यह सारा पानी यमुना नदी का ही होता है, जो अलग-अलग रास्तों से बंटकर दिल्ली के अलग-अलग वाटर प्लांट तक पानी पहुंचाता है. यही पानी आखिर में नजफगढ़ ड्रेन के रास्ते होते हुए यमुना में गिर जाता है. इस सबमें ज्यादातर पानी खर्च हो जाता है और नजफगढ़ ड्रेन में साफ पानी की जगह पर नाले का पानी बहता है.

मुनक नहर को विस्तार से समझिए

कुल 325 किलोमीटर लंबी पश्चिम यमुना कैनाल का ही एक छोटा सा हिस्सा है मुनक नहर. अंग्रेजों के जमाने में बनी इस पुरानी नहर के लिए अब हथिनी कुंड बैराज से पानी आता है, पहले ताजेवाला बैराज से पानी आता था. अब इसी हथिनीकुंड बैराज से यह कंट्रोल किया जा सकता है कि किस तरफ कितना पानी जाएगा. 69 किलोमीटर लंबी इस मुनक नहर को पक्का किया गया है ताकि इससे पानी लीक न हो और पूरा पानी दिल्ली पहुंच सके. हालांकि, टैंकर माफिया, धूप और लीकेज की वजह से काफी पानी रास्ते में ही खत्म हो जाता है.

मुनक नहर का नक्शा
मुनक नहर का नक्शा Credit: Google Maps

हथिनी कुंड बैराज, मुनक रेगुलेटर और खुबरू रेगुलेटर का नियंत्रण हरियाणा सरकार के पास है. यानी वह यह तय करती है कि किस तरफ कितना पानी जाएगा. दिल्ली सरकार बार-बार आरोप लगाती है कि समझौते में तय सीमा के बावजूद कम पानी भेजा जाता है. अब इसमें टैंकर माफिया का भी नाम आ रहा है कि हजारों टैंकर पानी वे रास्ते में ही भर लेते हैं और उसी पानी को महंगे दामों पर दिल्ली के ही लोगों को बेच देते हैं.

मुनक नहर के जरिए ही दिल्ली के द्वारका WTP, बवाना, ओखला और कई अन्य प्लांट को पानी मिलता है. कई ऐसे कानूनी पहलू भी हैं जिनको लेकर हरियाणा और दिल्ली में हमेशा आरोप-प्रत्यारोप चलते रहते हैं. मौजूदा समय में भी टैंकर माफिया पर पानी चोरी के आरोप लग रहे हैं. दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि पानी ही पूरा नहीं छोड़ा जा रहा है इसीलिए दिल्ली तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच रहा है.

2016 में तोड़ दी गई थी मुनक नहर
2016 में तोड़ दी गई थी मुनक नहर Credit: PTI

पल्ला गांव तक कहां से आता है पानी?

हरियाणा के सोनीपत जिले के गढ़ी बिंद्रोली गांव में पश्चिमी यमुना कैनाल से निकलने वाला ड्रेन नंबर 8 लगभग 20 किलोमीटर की दूरी तय करता है. यह दिल्ली के पल्ला गांव से बहने वाली यमुना नदी से आकर मिल जाता है और यहां तक पीने वाला पानी लाता है. वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए आने वाला पानी इसी के जरिए आता है. इस ड्रेन नंबर 8 में कई अन्य नालाों का पानी भी मिल जाता है जो इसे गंदा करता है. 

कहां से आता है दिल्ली का पानी?

दिल्ली में सिर्फ एक नदी यमुना बहती है. साहिबी नदी अब नाले में बदल चुकी है और उसमें खुद का पानी न के बराबर होता है. यही वजह है कि यमुना के अलावा कुछ अन्य नदियों का पानी भी दिल्ली तक आता है. दिल्ली को अपर गंगा कैनाल, पश्चिमी यमुना कैनाल, भाखड़ा स्टोरेज, यमुना नदी और भूजल के जरिए पानी मिलता है. इसमें यमुना से 41 पर्सेंट, अपर गंगा कैनाल से 27 पर्सेंट, भाखड़ा स्टोरेज से 24 पर्सेंट और ग्राउंड वाटर यानी भूजल की हिस्सेदारी 9 पर्सेंट है. दिल्ली में पानी की मांग फिलहाल 1296 एमजीडी है जबकि पानी सिर्फ 1000 एमजजीडी ही आ रहा है. यही वजह है कि मुनक नहर पर पहरा बिठाने की बात हो रही है.

साथ ही, दिल्ली में हर साल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. पानी की डिमांड पूरी कर पाने में दिल्ली अकेले सक्षम नहीं है. अभी भी बहुत सारे इलाके ऐसे हैं जहां पीने का पानी टैंकर के जरिए ही पहुंचाया जाता है और वहां तक दिल्ली जल बोर्ड की पाइप लाइन ही नहीं पहुंची है. ऐसे में जनसंख्या का बढ़ता दबाव, कम संसाधन और फिर पानी की कमी हर साल दिल्ली को जल संकट के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देते हैं.