भारत के उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ लोकपाल द्वारा की जा रही शिकायतों पर विचार करने के आदेश पर रोक लगा दी है. यह आदेश एक संवैधानिक मुद्दे पर आधारित था, जिसमें न्यायपालिका की ऑटोनोमी और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया.
लोकपाल के अधिकारों पर सवाल उठाए गए: न्यायालय ने लोकपाल के अधिकारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि मौजूदा न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करना उनके कार्यों में हस्तक्षेप करने जैसा हो सकता है. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों की जांच और उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया संविधान द्वारा निर्धारित कर्तव्यों के तहत ही होनी चाहिए.
इस फैसले ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधानिक अधिकारों की रक्षा को प्राथमिकता दी. अदालत ने माना कि यदि न्यायाधीशों के खिलाफ किसी भी तरह की शिकायत की जाती है, तो उसका निपटान केवल संविधान के द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के तहत ही होना चाहिए, ताकि न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर कोई असर न पड़े.
अब इस फैसले के बाद, लोकपाल को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ किसी भी शिकायत पर विचार करने के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी. इस आदेश के बाद, यह साफ हो गया है कि न्यायिक स्वतंत्रता को बचाने के लिए हर कदम उठाया जाएगा. हालांकि, इस फैसले के बाद कुछ कानूनी विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इस तरह के आदेश से भ्रष्टाचार के मामलों में न्याय का मार्ग ब्लॉक्ड हो सकता है.