menu-icon
India Daily

'पुरानी और बकाया रॉयल्टी भी ले सकते हैं राज्य...', समझिए मिनरल्स से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने क्या हैं?

Royalty on Minerals: सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों की खदानों को लेकर एक और अहम फैसला सुनाया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि खनिजों पर बकाया रॉयल्टी को भी राज्य सरकार वसूल सकेगी. 2005 से लेकर अब तक की रॉयल्टी पर राज्य सरकार का अधिकार होगा. इस पर लगाए गए जुर्माने और ब्याज को सुप्रीम कोर्ट ने माफ कर दिया है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रॉयल्टी पर राज्य का अधिकार होगा.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Mining
Courtesy: Socail Media

कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि किसी भी राज्य की खदानों से निकलने वाले मिनरल्स पर लगने वाली रॉयल्टी पर राज्य सरकारों का अधिकार होगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ने पुरानी रॉयल्टी भी ले सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 1 अप्रैल 2005 के बाद की रॉयल्टी अगर बकाया है तो उसे राज्य सरकारें वसूल सकती हैं. इसी साल 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने 8-1 से फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्य अपनी खदानों पर टैक्स लगा सकती हैं और उनसे निकलने वाले खनिजों पर रॉयल्टी भी वसूल सकती हैं.

सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि उसका यह फैसला आगे से लागू हो यानी पिछले टैक्स और रॉयल्टी से इसका लेना-देना न रखा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इसी मांग को खारिज करते हुए कहा है कि राज्य पिछले टैक्स पर भी अपना दावा कर सकते हैं. हालांकि, वे 1 अप्रैल 2005 से पहले का टैक्स नहीं मांग सकते हैं. इस बेंच ने यह भी कहा, 'इस टैक्स को किश्तो में लिया जाए और 1 अप्रैल 2026 से शुरू करते हुए अगले 12 सालों का समय दिया जाए. 25 जुलाई 2024 के बकाया पेमेंट पर लगाए गए ब्याज और जुर्माने को माफ किया जाता है.'

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा था 35 साल पुराना फैसला

बता दें कि 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 8-1 के बहुमत से अपना पुराना फैसला पलटा था. इसमें केवल जस्टिस बी वी नागरत्ना ऐसी थीं जो इस फैसले से सहमत नहीं थीं. उन्होंने कहा था कि इस फैसले से भारत के संघीय ढांचे को नुकसान हो सकता है और राज्यों के बीच बेवजह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने साल 1989 में आए अपने ही 7 जजों के फैसले को पलटा था. तब तमिलनाडु राज्य बनाम इंडिया सीमेंट के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रॉयल्टी और टैक्स लगाने का यह अधिकार केंद्र सरकार का है और यह विषय यूनियन लिस्ट में आता है.

25 जुलाई को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि माइन्स एंड मिनरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1957 राज्यों के इस अधिकार को सीमित नहीं करता है. सु्प्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है. इस फैसले से झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों को फायदा होने की उम्मीद है. वहीं, इससे केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है.

क्या है रॉयल्टी?

दरअसल, जहां कहीं भी खनिजों की खदान पाई जाती है उसे किसी कंपनी को अलॉट किया जाता है. इस खदान से निकलने वाले खनिज पर जो पैसे सरकार को दिए जाते हैं उसे ही रॉयल्टी कहा जाता है. सरकार उस जमीन का पट्टा देने के लिए टैक्स अलग से भी लेती है. यानी जमीन के लिए अलग टैक्स और उस जमीन से निकलने वाले खनिज की मात्रा पर रॉयल्टी देनी पड़ती है. अभी तक इन पैसों पर केंद्र सरकार का अधिकार था लेकिन अब इसे राज्य को दिया जाएगा.