Stampede In Mahakumbh: 12 करोड़ लोग! मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में क्यों मची भगदड़?

भगदड़ की घटनाओं में अक्सर जानमाल की भारी हानि होती है, और यह किसी भी प्रकार के आयोजन में हो सकती है. अगर आयोजक पहले से इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए तैयार हों, तो इन दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है.

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Stampede Reason: प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या यानी आज 29 जवनरी की सुबह संगम नोज पर अचानक भगदड़ मचने से कई श्रद्धालुओं की मौत की खबर है. इस घटना में कई लोग घायल हुए हैं, जिन्हें महाकुंभ के केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है. राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कितने लोग घायल हुए हैं और उनकी स्थिति कितनी गंभीर है. बताया जा रहा है कि संगम नोज पर स्नान के लिए अखाड़े के संतों को 5 बजे तक पहुंचना था, लेकिन अभी तक वे अखाड़ा मार्ग पर प्रवेश नहीं कर पाए हैं. इस मार्ग पर लगातार एंबुलेंस आ रही हैं और आपातकालीन सायरन की आवाज सुनाई दे रही है. घटना के बाद अखाड़े के साधु-संत स्नान के लिए अपने शिविरों से बाहर नहीं निकल पाए हैं. 

बीते कुछ सालों में धार्मिक आयोजनों के दौरान भगदड़ की घटनाएं कई बार सामने आई हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई. चाहे वह बिहार के जहानाबाद में सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में मची भगदड़ हो या फिर उत्तर प्रदेश का हाथरस हादसा. इन सभी घटनाओं में एक बात समान है – यहां भीड़ काफी बड़ी थी और लोगों ने अपनी जान गंवाई. ऐसी घटनाएं पुराने हादसों की याद दिलाती हैं और यह सवाल उठाती हैं कि आखिर इन हादसों के पीछे क्या वजह होती है और लोग कैसे मारे जाते हैं?

भीड़ में कैसे होती है मौत?

जब भीड़ के बीच हादसे होते हैं, तो आमतौर पर जांच रिपोर्ट में प्रशासनिक लापरवाही और आस्था की अधिकता के कारण दुर्घटनाओं को जिम्मेदार ठहराया जाता है. साथ ही, कम जगह में ज्यादा श्रद्धालु और खराब मौसम को भी कारण माना जाता है. कई हादसों की रिपोर्ट्स में यह सामने आया कि जब भगदड़ मची, तो लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और उनकी लाशें एक-दूसरे के ऊपर ढेर हो गईं. ऐसी स्थिति में बहुत से लोगों की मौत दम घुटने की वजह से हो जाती है. कई बार रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि 'अफरातफरी के बीच लोगों की मौत दम घुटने को लेकर हुई.'

भगदड़ क्यों मचती है?

1989 में इंग्लैंड के शेफील्ड शहर के हिल्सबोरो फुटबॉल स्टेडियम में हुई भगदड़ में 100 से अधिक लोग मारे गए थे. हादसे के बाद जांच टीम ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे. रिपोर्ट में यह पाया गया कि 'लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ रहे थे, उनका दम घुट रहा था और उन्हें लग रहा था कि वे अब नहीं बचेंगे'

विज्ञान की नजर से बात करें, तो भगदड़ के दौरान लोग मानसिक रूप से इतना विचलित हो जाते हैं कि वे अपने आसपास की स्थिति को सही से समझ नहीं पाते. 2003 में शिकागो के नाइट क्लब में हुए हादसे को याद करें, जहां दो पक्षों के बीच लड़ाई हुई और सुरक्षाकर्मियों ने मिर्ची स्प्रे का इस्तेमाल किया, जिससे भगदड़ मच गई और 21 लोग मारे गए. इसी तरह, 2022 में इंडोनेशिया में एक फुटबॉल मैच के दौरान भगदड़ में 131 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जहां सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस का प्रयोग किया था.

भगदड़ के वैज्ञानिक कारण

सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन एसएन घनश्याम के मुताबिक, भगदड़ की घटनाएं मुख्य रूप से गलत क्राउड मैनेजमेंट के कारण होती हैं. यदि आयोजकों के पास भीड़ के आकार का सटीक अनुमान और उसे नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम हों, तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2000 से 2019 तक के बीच दुनिया भर में हुई भगदड़ की बड़ी घटनाओं में लगभग 79% घटनाएं धार्मिक आयोजनों के दौरान हुई थीं. इन घटनाओं के प्रमुख कारणों में भौगोलिक स्थितियां जैसे पहाड़ी क्षेत्र, ढलान, कीचड़ और बारिश से बचाव के लिए उचित इंतजाम न होना शामिल हैं. भारत में इन घटनाओं के लिए मुख्य रूप से धार्मिक आयोजनों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जबकि विदेशों में म्यूजिक कंसर्ट, स्टेडियम और नाइट क्लबों में यह घटनाएं ज्यादा होती हैं.

भगदड़ को रोकने के उपाय

भगदड़ की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है अगर क्राउड मैनेजमेंट सही तरीके से किया जाए. इसके लिए कुछ उपाय हैं:

  • लाइन में खड़ा करना: भीड़ को कम करने के लिए लोगों को सही तरीके से लाइन में खड़ा करना और दबाव को नियंत्रित करना.
  • वैकल्पिक मार्ग: भगदड़ की स्थिति में वैकल्पिक मार्ग का इंतजाम करना ताकि लोग इधर-उधर न भागें.
  • सुरक्षाकर्मी और बैरिकेड्स: सुरक्षाकर्मियों को अनुशासन से काम पर रखना और बैरिकेड्स लगाकर भीड़ को नियंत्रित करना.
  • स्नेक लाइन एप्रोच: विशेष रूप से वीवीआईपी मेहमानों के लिए सुरक्षित आगमन के लिए स्नेक लाइन का प्रयोग करना.

इन उपायों को अपनाकर भगदड़ की घटनाओं को कम किया जा सकता है और भीड़ के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है.