भारत से सहयोग बढ़ाते हुए रविवार (6 अप्रैल) को श्रीलंका ने एक विशेष कदम उठाते हुए 14 भारतीय मछुआरों को रिहा कर दिया है. इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ बातचीत में इस जटिल मुद्दे को सुलझाने के लिए 'मानवीय दृष्टिकोण' अपनाने की वकालत की थी.
श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ बातचीत के बाद अपने मीडिया बयान में पीएम मोदी ने कहा, "हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की. हम इस बात पर सहमत हुए कि हमें इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमने मछुआरों और उनकी नावों की तत्काल रिहाई पर भी जोर दिया.
पल्क की खाड़ी में मछुआरों पर पहले भी हुई थी हिंसा
इससे पहले, श्रीलंकाई नौसेना द्वारा पल्क जलडमरूमध्य में भारतीय मछुआरों के खिलाफ कथित रूप से बल प्रयोग किए जाने की घटनाएं सामने आई थीं. पल्क जलडमरूमध्य तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच स्थित एक संकीर्ण जलक्षेत्र है, जहां मछुआरों के बीच अक्सर विवाद होते रहे हैं.
मछुआरों के मुद्दे पर विदेश सचिव ने क्या कहा?
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार (5 अप्रैल) को मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी-दिसानायके वार्ता में मछुआरों का मुद्दा उठा. उन्होंने कहा, "जैसा कि प्रधानमंत्री ने स्वयं अपने वक्तव्य में कहा, इन मुद्दों पर सहयोग के लिए मानवीय और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया, क्योंकि ये ऐसे मुद्दे हैं जो अंततः पाक खाड़ी के दोनों ओर के मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करते हैं.
उन्होंने यह भी कहा, "प्रधानमंत्री ने यह कहा कि यह मछुआरों के लिए एक दैनिक समस्या है और हाल के समय में जो कुछ कदम उठाए गए हैं, उन्हें फिर से विचारने की आवश्यकता हो सकती है.
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों के मुद्दे पर बढ़ेगी बातचीत
विदेश सचिव ने यह भी बताया कि भारत और श्रीलंका ने इस मुद्दे पर संस्थागत स्तर पर बातचीत को और तेज करने की आवश्यकता पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा, "भारत और श्रीलंका मछुआरों के संघों के अगले दौर की बातचीत आयोजित करने के लिए आपस में संपर्क में हैं.