पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को शनिवार को सर्वसम्मति से कांग्रेस संसदीय दल (CPP) का नेता चुन लिया गया. CPP का नेता चुने जाने के तुरंत बाद सोनिया गांधी ने पीएम मोदी और भाजपा सरकार पर करारा हमला बोला.सीसीपी का नेता बनाए जाने को लेकर कांग्रेस नेताओं का आभार जताने हुए सोनिया गांधी ने कहा, 'आप लोगों ने बेहत कठिन परिस्थितियों में चुनाव लड़ा. आपने कई सारी चुनौतियों को मजबूती से पार किया. आपके इन प्रयासों ने आज कांग्रेस को लोकसभा में पहले से कहीं ज्यादा मजबूत कर दिया है और लोकसभा और सदन की कार्यवाही में अब उसकी आवाज और ज्यादा प्रभावी हो गई है.' इस दौरान उन्होंने चुनाव के दौरान आयकर विभाग द्वारा कांग्रेस पार्टी का बैंख खाता सीज करने की भी बात की. सोनिया ने कहा कि उन्होंने हमें आर्थिक तौर पर तौड़ने की कोशिश की और हमारे खिलाफ दुष्प्रचार किया.
'कुछ लोग कह रहे थे अब कांग्रेस खत्म हो जाएगी'
सीपीपी नेता ने कहा, 'कईयों ने लिखा कि अब कांग्रेस खत्म हो जाएगी. लेकिन खड़गे जी के दृढ़ नेतृत्व में हम टिके रहे. वे हमारे लिए प्रेरणा हैं.' उन्होंने राहुल गांधी की भारत जोड़ यात्रा और भारत जोड़ो न्याय यात्रा की भी प्रशंसा की और उसे एक एतिहासिक आंदोलन बताया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पर अभूतपूर्व व्यक्तिगत और राजनैतिक हमले हुए जिनका उन्होंने दृढ़ता के साथ सामना किया और पार्टी को मजबूती दी.
'विफला की जिम्मेदारी लेने के बजाय पीएम बनने जा रहे मोदी'
सोनिया गांधी ने जोर देकर कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की नैतिक हार है, क्योंकि उन्होंने लोगों से अपने नाम पर वोट देने की अपील की थी. सोनिया गांधी ने कहा, 'विफलता की जिम्मेदारी लेने के बजाय उनका(मोदी) इरादा कल प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने का है. हम उनसे किसी बदलाव की उम्मीद नहीं करते. हमें नहीं लगता कि वह शासन चलाने की अपनी शैली में बदलाव करेंगे और लोगों की समस्याओं पर ध्यान देंगे.' 'इसलिए सीपीपी का सदस्य होने के नाते हमारा यह विशेष दायित्व है कि हम सतर्क और सक्रिय रहें ताकि नई एडीए सरकार को जवाबदेह बनाया जा सके.'
'अब मनमाने ढंग से काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी'
कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी के पिछले 10 सालों के शासन का हवाला देते हुए कहा, 'अब संसद पर उस तरह से दबाव नहीं डाला सा सकता है और न ही डाला जाना चाहिए जैसा कि पिछले एक दशक से होता आ रहा है. अब सत्ताधारियों को मनमाने ढंग से काम करे, सदस्यों के साथ दुर्व्यवाहर करना और उचिक विचार-विमर्श और बहस के बिना कानून पारित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अब संसदीय समितियों को अनदेखा या दरकिनार नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए जैसा कि 2014 से किया जा रहा है'