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India Daily

सोमालिया का समंदर और खूंखार लुटेरे…. कुछ इस तरह बची थी 17 क्रू मेंबरों की जान

भारतीय सेना की ताकत एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने आई है. भारतीय वायुसेना और नौसेना ने मिलकर एक सफल गुप्त ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस मिशन के देशी की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत किया है और पूरी दुनिया के सामने यह साफ कर दिया कि भारतीय सेना किसी भी हाल में अपने देश की सुरक्षा पर आंच नहीं आने देंगे.

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Edited By: Shanu Sharma
Indian Army sccessful secret mission
Courtesy: Social Media

Indian Navy: भारतीय सेना ने एक बार फिर मील का पत्थर साबित किया है.  भारतीय वायुसेना और नौसेना ने कुछ समय पहले एक साहसिक और खतरनाक सीक्रेट ऑपरेशन अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. इस मिशन में सेना द्वारा सोमालियाई तट के पास समुद्री डाकुओं के चंगुल से एक व्यापारी जहाज के 17 चालक दल के सदस्यों को मुक्त कराया गया. इस ऑपरेशन को भारतीय वायुसेना (IAF) और भारतीय नौसेना के विशेष बलों ने म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ अंजाम दिया गया.  

इस उच्च जोखिम वाले मिशन में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अक्षय सक्सेना अहम रोल निभाते नजर आए. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर उन्हें अदम्य साहस और विशिष्ट वीरता के लिए वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया.  16 मार्च 2024 को अरब सागर में एंटी-पायरेसी ऑपरेशन 'संकल्प' के तहत यह मिशन अंजाम दिया गया. इस अभियान की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए मिशन की गोपनीयता बनाए रखना बेहद आवश्यक था.  

अक्षय सक्सेना की साहस

रक्षा मंत्रालय के अनुसार यह मिशन समुद्री डाकुओं से भरे क्षेत्र में किया गया था. जिसमें न केवल व्यापक समुद्री डकैती का खतरा था, बल्कि भारतीय नौसेना के आईएनएस कोलकाता पर हमले और एक नौसैनिक ड्रोन को गिराने की घटना भी शामिल थी.  विंग कमांडर अक्षय सक्सेना जो कि C-17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमान के पायलट थे उन्होंने इस मिशन की जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए तत्काल रणनीति तैयार की.  

मिशन को अंजाम देते समय समुद्री डाकुओं द्वारा छोटे हथियारों से हमले की संभावना थी. कमांडर सक्सेना ने उच्च समुद्र के ऊपर कम ऊंचाई पर उड़ान भरने और सभी उत्सर्जकों को बंद करने का निर्णय लिया, ताकि दुश्मनों को विमान की उपस्थिति का पता न चले. 50 समुद्री मील पहले ड्रॉप स्थान बदले जाने के बावजूद, उन्होंने सटीक एयरड्रॉप निष्पादित किया. जिससे समुद्री डाकुओं को पकड़ने और जहाज के चालक दल को बचाने में सफलता मिली. उन्होंने 18 मार्को (MARCOS) कमांडोज़ और दो लड़ाकू रबरयुक्त रेडिंग क्राफ्ट (CRRC) नौकाओं को एयरड्रॉप किया. जिससे समुद्री डाकुओं से व्यापारी जहाज को छुड़ाया गया.  

 भारतीय सेना का गुप्त मिशन

उद्देश्य क्षेत्र भारतीय उड़ान सूचना क्षेत्र से 540 समुद्री मील (1,000 किमी से अधिक) दूर था. जिससे यह ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिमपूर्ण बन गया. मिशन लगभग 10 घंटे तक चला जिसमें वायुसेना और नौसेना के बीच बेहतरीन समन्वय देखने को मिला. विमान को ऐसे क्षेत्र में उड़ाया गया, जहां दुश्मन की सतर्कता बहुत अधिक थी. इसलिए अत्यधिक सतर्कता और योजनाबद्ध संचालन की आवश्यकता थी. गुप्त मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए, सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल और रणनीतिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया.  भारतीय सेना के इस अद्वितीय अभियान ने न केवल 17 निर्दोष नाविकों की जान बचाई, बल्कि समुद्री डाकुओं के आतंक को भी करारा जवाब दिया. इस सफल अभियान में उनके असाधारण साहस नेतृत्व और व्यावसायिकता को देखते हुए विंग कमांडर अक्षय सक्सेना को वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया.