देशभर के कुल 7 राज्यों की 57 लोकसभा सीटों पर 25 मई को वोट डाले जाएंगे. दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक और कश्मीर से लेकर ओडिशा तक की सीटों पर शनिवार को वोट डाले जाएंगे. इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार और दिल्ली की कई ऐसी सीटें भी हैं जिन पर मुस्लिम मतदाता अच्छा-खासा दखल रखते हैं. यही वजह है कि इस चरण में हर पार्टी मुस्लिमों को साधने में लगी हुई है. पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले के बाद ममता बनर्जी आक्रामक मूड में हैं, वहीं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सभी सातों सीटों पर दम झोंक रहे हैं. अब देखना यह होगा कि आखिर में मुस्लिम किस ओर जाते हैं और इन सीटों पर होने वाला मुकाबला कैसा होता है.
इस चरण में जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी, हरियाणा की सभी 10, दिल्ली की सभी 7, झारखंड की 4, ओडिशा की 6, उत्तर प्रदेश की 14, बिहार की 8 और पश्चिम बंगाल की 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. बिहार की सीवान, जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी के साथ-साथ दिल्ली की कई लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में हैं. ऐसे में इन सीटों पर सत्ताधारी NDA गठबंधन और विपक्षी INDIA गठबंधन के बीच रोचक जंग देखने को मिलने वाली है.
दिल्ली में निर्णायक होंगे मुस्लिम?
दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं. 2014 और 2019 में सातों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. बार-बार वोटों के बंटवारे को देखते हुए कांग्रेस और AAP ने हाथ मिला लिया है. चांदनी चौक, पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता अच्छी-खासी संख्या में हैं. इस बार AAP और कांग्रेस को उम्मीद है कि वोटों का बंटवारा नहीं होने पाएगा और वे मिलकर बीजेपी को हराने में कामयाब होंगे.
पश्चिम बंगाल में क्या होगा?
छठे चरण में पश्चिम बंगाल की जिन 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें से 5 सीटों पर 2019 में बीजेपी ने बाजी मारी थी. इनमें से 3 सीटें ऐसी थीं जिन पर जीत का अंतर एक लाख वोटों से कम था. इस बार कांग्रेस की कम सक्रियता कहीं न कहीं टीएमसी की मदद कर सकती है. शायद यही वजह है कि पांचवां चरण आते-आते ममता बनर्जी को यह कहना पड़ा कि वह INDIA गठबंधन का हिस्सा हैं.
जम्मू-कश्मीर में तगड़ी टक्कर?
जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट इस बार खूब चर्चा में है. छठे चरण में इस सीट पर भी वोटिंग होनी है. मुस्लिम बहुल इस सीट पर कई उम्मीदवार रेस में हैं लेकिन पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती के चुनाव लड़ने से यह सीट हॉट सीट में शामिल है.
यूपी में बदलेगा माहौल?
उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, आजमगढ़, इलाहाबाद और फूलपुर जैसी सीटों पर छठे चरण में वोटिंग होनी है. इस बार कांग्रेस और सपा के साथ आने से समीकरण काफी बदले नजर आ रहे हैं. इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता भी अच्छी-खासी संख्या में हैं. शायद यही वजह है कि उपचुनाव में आजमगढ़ गंवाने वाली सपा ने बसपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ने वाले शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपने साथ मिला लिया है और इस बार धर्मेंद्र यादव का रास्ता साफ हो गया है.
कुल मिलाकर छठे चरण की 57 में से लगभग दो दर्जन सीटें ऐसी होने वाली हैं जिन पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित होने जा रहे हैं. अब देखना यह होगा कि वे कितनी संख्या में अपने घरों से निकलते हैं और किस तरफ वोट डालते हैं.