दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. उन्हें पिछले साल 16 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. लंबे समय से लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मनीष सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट से जमानत पाने में कामयाब हुए. दिल्ली की आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि हाई कोर्ट इस बात का ध्यान रखें कि जमानत के लिए लोगों को सुप्रीम कोर्ट न आना पड़ा.
कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी. इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की. सवालों के घेरे में आने के बाद नीति को रद्द कर दिया गया. इसी मामले में मनीष सिसोदिया पर शराब विक्रेताओं को रिश्वत देने का आरोप लगा था.
फैसला सुनाते हुए जस्टिस गवाई ने कहा कि हमने सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया है और यह भी देखा है कि याचिकाकर्ता जब पिछली बार सुप्रीम कोर्ट आए थे तब से अब तक 7 महीने हो चुके हैं. उन्होंने कहा, अगर अब फिर से याचिकाकर्ता (सिसोदिया) को लोअर कोर्ट भेजा जाता है तो यह सांप-सीढ़ी के खेल जैसा हो जाएगा. यहां सवाल उठता है कि क्या ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने ट्रायल में देरी को ध्यान में रखा? हमें लगता है कि इस अदालत के फैसले को नजरअंदाज किया गया.