वर्ष 1992 में 3,000 किलोग्राम से अधिक चांदी की तस्करी के मामले में इंदौर की जिला अदालत ने मंगलवार को नौ दोषियों को दो-दो साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.
इसके अलावा, प्रत्येक दोषी पर 5,000-5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट जय कुमार जैन ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के तहत दोषियों को अपराधी करार दिया और सजा सुनाई. यह फैसला लंबे समय से चले आ रहे इस मामले में एक महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय माना जा रहा है.
इस मामले में दोषी ठहराए गए नौ व्यक्तियों के नाम इस प्रकार हैं;
यह मामला 1992 का है, जब विदेश से भारी मात्रा में चांदी की अवैध तस्करी की गई थी. इस मामले की जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद अब 33 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है, जिससे तस्करी से जुड़े मामलों में कड़ा संदेश गया है.
सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के प्रावधानों के तहत दोषियों को सजा दी गई. अदालत ने सभी दोषियों को सश्रम कारावास के साथ आर्थिक दंड भी दिया, जिससे यह स्पष्ट संकेत जाता है कि अवैध व्यापार और तस्करी को कानून के तहत कड़ी सजा दी जाएगी.
अदालत का यह फैसला यह दर्शाता है कि कोई भी अपराध, चाहे वह कितना भी पुराना क्यों न हो, कानून से बच नहीं सकता. यह निर्णय तस्करी और अवैध व्यापार में लिप्त लोगों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि कानून का उल्लंघन करने पर दंड अवश्य मिलेगा.