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दरगाह में देना चाहते थे कुर्बानी, मना करने पर मुसलमानों का विरोध-प्रदर्शन, पुलिस ने पहाड़ी पर बना दी छावनी

सिकंदर बदुशा दरगाह तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर धार्मिक सद्भाव का प्रतीक मानी जाती है. हालांकि, कुर्बानी को लेकर विवाद ने धार्मिक और प्रशासनिक मुद्दों को उजागर कर दिया है.

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Edited By: Babli Rautela
Sikandar Badusha Dargah
Courtesy: Social Media

Sikandar Badusha Dargah: तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर स्थित सिकंदर बदुशा दरगाह में जानवरों की कुर्बानी को लेकर विवाद बढ़ गया है. मुस्लिम संगठनों की मांग और पुलिस के इनकार के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया, जिसके चलते बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात करना पड़ा.

तिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां भगवान मुरुगन के छह पवित्र निवासों में से एक तिरुपरनकुंद्रम मुरुगन मंदिर स्थित है. इसके साथ ही पहाड़ी की चोटी पर स्थित सिकंदर बदुशा दरगाह, जो लगभग 400 साल पुरानी बताई जाती है, धार्मिक सद्भाव का प्रतीक मानी जाती है.

कुर्बानी पर विवाद

मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि दरगाह में जानवरों की कुर्बानी की अनुमति मांग रहे थे. पुलिस ने उन्हें केवल इबादत की इजाजत दी, लेकिन कुर्बानी पर रोक लगा दी. पुलिस के इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया. हालात तनावपूर्ण होने के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने बातचीत के बाद इलाके को छोड़ दिया. सिकंदर मस्जिद समिति और स्थानीय मुस्लिम समुदाय का दावा है कि सिकंदर बदुशा थोझुगाई पल्लीवसल दरगाह का निर्माण सुल्तान सिकंदर द्वारा 400 वर्ष पहले किया गया था.

सिकंदर बदुशा: जेद्दा के गवर्नर

ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, सिकंदर बदुशा जेद्दा के गवर्नर थे और वे सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद बदुशाह के साथ 14वीं शताब्दी के अंत में मदीना से तमिलनाडु के एरवाडी आए थे. सुल्तान सैयद इब्राहिम शहीद ने मदुरै क्षेत्र पर विजय प्राप्त की, और सिकंदर बदुशा को मदुरै का गवर्नर नियुक्त किया गया.

सिकंदर बदुशा दरगाह पर हर साल रजब महीने की 17वीं रात को उर्स मनाया जाता है. इस दौरान हजारों तीर्थयात्री पहाड़ी की चोटी पर स्थित दरगाह में आते हैं. तीर्थयात्रियों के लिए विशेष सुविधाएं दरगाह समिति और पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं.

(इस खबर को इंडिया डेली लाइव की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)