महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मामले में पहली गिरफ्तारी की गई है. मामले से संबंधित FIR में मूर्ति के संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल का नाम शामिल था, जिसे कोल्हापुर से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. कोल्हापुर के एसपी महेंद्र पंडित ने बताया कि चेतन पाटिल को गुरुवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और आगे की जांच के लिए सिंधुदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया.
इससे पहले बुधवार को कोल्हापुर के रहने वाले चेतन पाटिल ने दावा किया था कि वे मूर्ति के लिए संरचनात्मक सलाहकार नहीं थे. मराठी न्यूज चैनल एबीपी माझा के साथ एक इंटरव्यू में चेतन पाटिल ने मूर्ति बनाने वाले जयदीप आप्टे के साथ बताया कि उन्होंने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से भारतीय नौसेना को मंच का डिजाइन पेश किया था, लेकिन वे मूर्ति के निर्माण में शामिल नहीं थे.
चेतन पाटिल ने ये भी कहा कि ठाणे की एक कंपनी ने मूर्ति से संबंधित काम को संभाला, जबकि उनकी भूमिका सिर्फ प्लेटफॉर्म तक ही सीमित थी. 17वीं सदी के मराठा योद्धा शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण पिछले साल नौसेना दिवस (4 दिसंबर) पर सिंधुदुर्ग की मालवन तहसील में राजकोट किले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किया गया था, जो सोमवार को दोपहर करीब 1 बजे ढह गई.
शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने की घटना से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी और विपक्षी दलों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ा. घटना के बाद राज्य के कुछ इलाकों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे. घटना को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि मूर्ति का डिज़ाइन और निर्माण इंडिन नेवी ने किया था.
राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने गुरुवार को दावा किया कि मूर्ति बनाने वाला मूर्तिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का करीबी था. उनकी ये टिप्पणी राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि मूर्तिकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी हैं.
विपक्ष के अनुसार, ये घटना 17वीं सदी के मराठा सम्राट की विरासत का अपमान है. कांग्रेस ने ये भी पूछा कि क्या मोदी इस घटना के लिए माफ़ी मांगेंगे. इस बीच, अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने गुरुवार को पुणे और पश्चिमी महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में मौन विरोध प्रदर्शन किया और मूर्ति ढहने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
वहीं, इंडियन नेवी ने कहा कि उसने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने की परियोजना की संकल्पना की और उसका संचालन किया. ये प्रतिमा इस सप्ताह महाराष्ट्र के मालवण में ढह गई थी. इस परियोजना के लिए इंडियन नेवी ने राज्य सरकार के साथ समन्वय किया था, जिसने इसके लिए धन भी उपलब्ध कराया था.