'जीत को हार में बदलने की कला...': हरियाणा में कांग्रेस की हार पर शिवसेना का तंज
Shiv Sena Over Congress Haryana Defeat: शिवसेना के सामना के संपादकीय में कांग्रेस के अति आत्मविश्वास और अंदरूनी कलह को हरियाणा चुनाव में हार का कारण बताया गया है. इसमें कहा गया है कि कांग्रेस ने भाजपा विरोधी भावना को गलत तरीके से लिया. शिवसेना यूबीटी से पहले आप और सीपीआई समेत अन्य भारतीय ब्लॉक सहयोगी भी कांग्रेस के दृष्टिकोण पर सवाल उठाते रहे हैं.
Shiv Sena Over Congress Haryana Defeat: हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए चुनावी रणनीति का एक बार फिर से मूल्यांकन करने का सुझाव दिया है. शिवसेना के मुखपत्र सामना ने बुधवार को अपने संपादकीय में कांग्रेस पर निशाना साधा. भूपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस नेतृत्व पर तीखा हमला करते हुए सामना के संपादकीय में कहा गया कि हरियाणा में पार्टी की हार का कारण अति आत्मविश्वास है.
मुखपत्र में कहा गया कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चौंकाने वाले हैं. हरियाणा में कांग्रेस की हार का कारण अति आत्मविश्वास माना जा रहा है. कोई भी दृढ़ता से नहीं कह रहा था कि भाजपा हरियाणा में सत्ता में वापस आएगी. कुल मिलाकर माहौल से लग रहा था कि कांग्रेस निर्णायक जीत हासिल करेगी, लेकिन जीत को हार में बदलने की कला कांग्रेस से सीखी जा सकती है.
सामना में लिखा गया कि हरियाणा में भाजपा विरोधी माहौल था. हालात ऐसे थे कि भाजपा के मंत्रियों और उम्मीदवारों को हरियाणा के गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा था, फिर भी हरियाणा में नतीजे कांग्रेस के खिलाफ गए. हरियाणा में अनुकूल स्थिति होने के बावजूद कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा पाई. कांग्रेस के साथ ऐसा हर बार होता है.
संपादकीय में हुड्डा और शैलजा मतभेद को भी बताया हार का कारण
संपादकीय में भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच मतभेद को भी कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन का कारण बताया गया है. संपादकीय में कहा गया है कि हुड्डा और उनके लोगों ने शैलजा को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया और दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान इसे रोक नहीं सका. भाजपा हरियाणा इसलिए जीत पाई क्योंकि कांग्रेस का संगठन कमजोर था.
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा में भारतीय गठबंधन इसलिए नहीं जीत सका क्योंकि कांग्रेस को लगा कि वे अपने दम पर जीत जाएंगे और उन्हें सत्ता में किसी और साथी की जरूरत नहीं है. कांग्रेस नेता हुड्डा को लगा कि हम जीत जाएंगे. अगर उन्होंने (कांग्रेस) समाजवादी पार्टी, आप या अन्य छोटी पार्टियों के साथ सीटें साझा की होतीं, तो नतीजे अलग होते.
अगर कांग्रेस अकेले चलना चाहती है तो...: संजय राउत
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने कहा कि अगर कांग्रेस पूरे देश में अकेले चलना चाहती है, तो उसे इसकी घोषणा करनी चाहिए ताकि बाकी सभी लोग अपने-अपने राज्यों में अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हों. राउत ने हरियाणा में भाजपा के प्रदर्शन की भी प्रशंसा की. राउत ने कहा कि मेरा मानना है कि भाजपा ने जो चुनाव लड़ा है, वह बहुत अच्छा है. भाजपा ने हारी हुई लड़ाई जीती है.
इस बीच, आप और सीपीआई समेत अन्य भारतीय ब्लॉक सहयोगियों ने भी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के दृष्टिकोण पर सवाल उठाए. हरियाणा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की उम्मीद कर रहे आप के नेताओं ने कहा कि हाल के चुनावों से सबसे महत्वपूर्ण सीख 'अति आत्मविश्वास' से बचना है.
दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा सबक यह है कि चुनावों में कभी भी अति आत्मविश्वास नहीं होना चाहिए. मंगलवार को एक कार्यक्रम में आप नगर पार्षदों की एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि किसी भी चुनाव को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. प्रत्येक चुनाव और प्रत्येक सीट कठिन होती है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने भी हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की चुनावी रणनीति पर चिंता जताई और कहा कि सीट बंटवारे के लिए कांग्रेस का फैसला उसके खिलाफ गया. सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को गंभीर आत्मनिरीक्षण करना होगा. उसे अपनी रणनीति और कार्यनीति का आत्म-आलोचनात्मक मूल्यांकन करना होगा. डी राजा ने कहा कि इंडिया ब्लॉक की पार्टियों को एक-दूसरे पर आपसी विश्वास के साथ काम करना चाहिए और सीट बंटवारे के समय आपसी सामंजस्य बिठाना चाहिए. हरियाणा में ऐसा नहीं हुआ.