menu-icon
India Daily

‘कोई शर्म नहीं’: रैली में बाल ठाकरे की AI आवाज निकालने पर शिंदे-राउत में तीखी नोकझोंक

शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने शिंदे और भाजपा की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि जिन लोगों ने बाल ठाकरे के नाम का इस्तेमाल कर "नकली शिवसेना" बनाई, उन्हें इस मुद्दे पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.

auth-image
Edited By: Sagar Bhardwaj
Sharp altercation between Shinde and Raut over AI producing Bal Thackerays voice

नासिक में एक रैली में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की आवाज को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के जरिए दोबारा जीवित करने पर शिवसेना और शिवसेना (UBT) के बीच तीखी बहस छिड़ गई है. इस मुद्दे ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है.

शिंदे का शिवसेना (UBT) पर हमला

शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ने अपने पिता बाल ठाकरे के आदर्शों को "धोखा" दिया है. शिंदे ने पत्रकारों से कहा, "हमने शिवसेना को कांग्रेस के चंगुल से मुक्त किया. उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी न केवल सत्ता से, बल्कि लोगों के दिलों से भी बाहर हो चुके हैं. अगर उनमें थोड़ी भी शर्म बाकी है, तो उन्हें बालासाहेब का अपमान करने वाले ऐसे बचकाने कृत्यों से बचना चाहिए." शिंदे ने 2022 में उद्धव के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर शिवसेना को विभाजित किया था.

विवाद का केंद्र: AI-जनरेटेड ऑडियो

विवाद की जड़ नासिक में शिवसेना की रैली में बजाया गया 13 मिनट का एक ऑडियो क्लिप है, जिसमें बाल ठाकरे की AI-निर्मित आवाज शामिल थी. इस तकनीक के इस्तेमाल ने विपक्षी दलों में आक्रोश पैदा किया. महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इसे "बचकाना हरकत" करार देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर नाराजगी जताई.

शिवसेना (UBT) का पलटवार

शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने शिंदे और भाजपा की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि जिन लोगों ने बाल ठाकरे के नाम का इस्तेमाल कर "नकली शिवसेना" बनाई, उन्हें इस मुद्दे पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. राउत ने कहा, "पिछले महीने भी एक पार्टी कार्यक्रम में बाल ठाकरे की आवाज को AI के जरिए बनाया गया था. इसमें नया कुछ नहीं है." यह विवाद न केवल तकनीक के दुरुपयोग पर सवाल उठाता है, बल्कि शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच गहरे राजनीतिक मतभेदों को भी उजागर करता है.