सत्ता पाने के लिए मंदिर-मंदिर करते थे अब नसीहत दे रहे, मोहन भागवत के बयान पर भड़के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
RSS प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद वाले बयान पर शंकराचार्य ने तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए यही लोग कुछ दिन पहले मंदिर-मंदिर कर रहे थे, अब इनकी बोली बदल गई है.
Mandir-Masjid Controversy: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि जब भागवत को सत्ता की आवश्यकता थी, तब वह मंदिर-मंदिर जाकर धार्मिक आस्थाओं का सहारा ले रहे थे, लेकिन अब जब सत्ता मिल चुकी है, तो वह मंदिरों की तलाश बंद करने की नसीहत दे रहे हैं.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि मोहन भागवत राजनीति के हिसाब से बयान देते हैं और उनका यह रुख हिंदू समाज के प्रति सच्चे भाव से नहीं है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मोहन भागवत के उस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने कहा था कि हर जगह मंदिर ढूंढने की इजाजत नहीं दी जा सकती. शंकराचार्य ने कहा कि यह बयान राजनीतिक सुविधाओं के अनुसार दिया गया है और यह हिंदू समाज के गौरव को कम करने वाला है.
गृह मंत्री अमित शाह पर भी सवाल
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसद में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बारे में दिए गए बयान की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के संसद परिसर में हुए धक्का-मुक्की के मामले में केंद्रीय मंत्री का बयान आंबेडकर पर दिया गया बयान ही था, जिसकी वजह से यह विवाद बढ़ा.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की निंदा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की भी कड़ी निंदा की. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को उनके देश भेजने के लिए ठोस कदम उठाए. उन्होंने यह भी कहा कि अधिकतर लोग बाबा साहेब की विचारधारा को मानते हैं और उनका नाम हर कोई अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहा है.
हिंदू समाज के गौरव को फिर से स्थापित करने की अपील
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि हिंदू धर्म के मंदिरों को ऐतिहासिक आक्रांताओं द्वारा तोड़े जाने के बावजूद, आज हिंदू समाज को अपने मंदिरों के पुनर्निर्माण और संरक्षण के लिए कोई गलत नहीं समझना चाहिए. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि हिंदू धर्मस्थलों के ऐतिहासिक सर्वेक्षण किए जाएं और हिंदू समाज का गौरव फिर से स्थापित किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में हिंदू समाज पर बहुत अत्याचार हुआ है और उनके धार्मिक स्थल ध्वस्त किए गए हैं. लेकिन अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों का पुनर्निर्माण करना चाहता है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है.