Kapil Sibal: सीनियर एडवोकेट और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को ट्रायल कोर्ट, जिला अदालतों और सत्र न्यायालयों को बिना किसी भय या पक्षपात के न्याय देने के लिए सशक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया है. जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सिब्बल ने जोर देते हुए कहा कि इन अदालतों को अधीनस्थ नहीं बल्कि न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण घटक के रूप में देखा जाना चाहिए. सिब्बल जब यह बातें बोल रहे थे उस समय चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे.
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि वे अधीनस्थ नहीं हैं, क्योंकि वे न्याय प्रदान करते हैं. इस स्तर पर न्यायपालिका में यह विश्वास पैदा किया जाना चाहिए कि उनके फैसले उनके खिलाफ नहीं होंगे. वह न्याय प्रदान करने वाली व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं. अपने लंबे प्रोफेशनल कैरियर के बारे में बात करते हुए उन्होंने जिला न्यायालय स्तर पर कम जमानत प्रदान किए जाने मामलों पर चिंता भी व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि अपने करियर में मैंने शायद ही कभी इस स्तर पर जमानत मंजूर होते देखा है. यह सिर्फ मेरा अनुभव नहीं है, बल्कि यहां तक कि मुख्य न्यायाधीश ने भी यह कहा है क्योंकि उच्च न्यायालयों पर बोझ है. आखिरकार निचली अदालतों में जमानत एक अपवाद है. सिब्बल ने कहा कि स्वतंत्रता एक समृद्ध लोकतंत्र का आधारभूत आधार है और इसे बाधित करने का कोई भी प्रयास हमारे लोकतंत्र की गुणवत्ता को प्रभावित करता है.
सुप्रीम कोर्ट 31 अगस्त और 1 सितंबर से शुरू होने वाले जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्के का अनावरण किया. अपने संबोधन में भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने जिला न्यायालयों को अधीनस्थ कहने की औपनिवेशिक युग की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था की रीढ़ को बनाए रखने के लिए, हमें जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका कहना बंद करना चाहिए. आजादी के 75 सालों बाद अब समय आ गया है कि ब्रिटिश युग के एक और अवशेष को खत्म कर दिया जाए.