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India Daily

पूर्व टीवी एंकर पांड्या की बढ़ी मुसीबत, सात अन्य को 2.83 करोड़ रुपये का मांग नोटिस जारी, SEBI का एक्शन

सेबी बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाता है. यदि कोई व्यक्ति या संस्था नियमों का उल्लंघन करती है या निवेशकों को गुमराह करती है, तो नियामक उन पर आर्थिक दंड लगाता है. इस मामले में भी सेबी ने सख्त रुख अपनाते हुए बकाया राशि की वसूली के लिए यह मांग नोटिस जारी किया है.

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Edited By: Reepu Kumari
SEB Action
Courtesy: Pinterest

पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पूर्व टीवी एंकर प्रदीप बैजनाथ पांड्या और सात अन्य व्यक्तियों को 2.83 करोड़ रुपये का मांग नोटिस जारी किया है. यह नोटिस पिछले साल जून में धोखाधड़ीपूर्ण व्यापारिक गतिविधियों को लेकर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं करने पर भेजा गया है.

किन्हें मिला है नोटिस? 

सेबी ने पांड्या के अलावा तोशी ट्रेड, महान इन्वेस्टमेंट, मनीष वासनजी फुरिया (एचयूएफ), मनीष वासनजी फुरिया, अल्पा अल्पेश फुरिया, अल्पेश वासनजी फुरिया (एचयूएफ) और अल्पेश वासनजी फुरिया को भी यह मांग नोटिस भेजा है.

क्या है मामला?

प्रदीप बैजनाथ पांड्या एक प्रमुख टीवी चैनल पर शेयर बाजार से जुड़ा कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे. सेबी ने पाया कि इन व्यक्तियों ने शेयर बाजार में धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई थी. इसके चलते, नियामक ने उन पर भारी जुर्माना लगाया था, जिसका अब तक भुगतान नहीं किया गया है. 

सेबी की कार्रवाई क्यों?

सेबी बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाता है. यदि कोई व्यक्ति या संस्था नियमों का उल्लंघन करती है या निवेशकों को गुमराह करती है, तो नियामक उन पर आर्थिक दंड लगाता है. इस मामले में भी सेबी ने सख्त रुख अपनाते हुए बकाया राशि की वसूली के लिए यह मांग नोटिस जारी किया है.

आगे की प्रक्रिया  

यदि आरोपी पक्ष नियामक के निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो सेबी आगे की कानूनी कार्रवाई कर सकता है, जिसमें संपत्ति जब्त करने और अन्य दंडात्मक प्रावधानों का उपयोग शामिल हो सकता है.

सेबी के बारे में

भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह एक सरकारी एजेंसी है, जिसे भारतीय सरकार ने 1988 में स्थापित किया था। सेबी का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और पूंजी बाजार में अनुशासन बनाए रखना है।