Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने क्रिसमस के मौके पर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है. इस आदेश के तहत, स्कूलों को अब अपने छात्रों को सांता क्लॉज की वेशभूषा पहनाने या किसी अन्य पात्र में ढालने से पहले उनके अभिभावकों से लिखित अनुमति लेनी होगी. आयोग ने यह कदम अप्रिय स्थिति से बचने के लिए उठाया है.
25 दिसंबर को मनाए जाने वाले क्रिसमस के मौके पर स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिनमें बच्चे सांता क्लॉज का रूप धारण करते हैं. हालांकि, अब तक यह परंपरा बिना किसी लिखित अनुमति के चलती आ रही थी. बाल आयोग के सदस्य अनुराग पांडेय ने बताया कि इस आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी बच्चे को बिना अभिभावकों की अनुमति के किसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मजबूर न किया जाए.
आदेश न मानने पर होगी कार्रवाई
आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग और सभी जिला कलेक्टरों को पत्र भेजकर यह निर्देश दिया है कि कोई भी स्कूल इस संबंध में बिना अभिभावकों की अनुमति के बच्चों को वेशभूषा में ढालने या किसी पात्र में शामिल करने का आयोजन न करें. इसके अलावा, यदि इस आदेश का उल्लंघन हुआ तो स्कूलों के खिलाफ सुसंगत कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
🔥 #MadhyaPradesh BJP CM
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) December 24, 2023
.@DrMohanYadav51 Ji's issued order that written permission from parents must be taken before school kids are told to take part in Xmas celebrations/have an Xmas tree/dress as Santa.
Now you know whom to blame if you see Hindu Kids dressing like Santa! pic.twitter.com/n3Kjgw5sng
पिछले सा भी इस तरह के दिए गए थे आदेश
यह आदेश पिछले साल 2023 में जारी किए गए आदेश का पालन है, जब स्कूलों को बच्चों को किसी भी वेशभूषा में शामिल करने से पहले अभिभावकों की अनुमति लेने का निर्देश दिया गया था. अब यह देखना होगा कि इस आदेश का क्रिसमस के आयोजन पर क्या असर पड़ता है, और क्या बच्चों को सांता की ड्रेस पहनाने की परंपरा प्रभावित होती है.