Electoral Bonds Case: इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा के सावर्जनिक होने के बाद 'नंबर वन डोनर' का पता चला है. इनकी पहचान सैंटियागो मार्टिन के रूप में हुई है, जो कभी म्यांमार में मजदूरी करते थे. मार्टिन को लॉटरी किंग भी कहा जाता है. सबसे अधिक डोनेशन फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने किया, जो मार्टिन की कई कंपनियों में से एक है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड डेटा के अनुसार, मार्टिन की कंपनी ने अप्रैल 2019 और जनवरी 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये मूल्य का चुनावी बांड खरीदा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब साउथ इंडिया में बिजनेस की बात आती है, तो कई नाम सामने आते हैं. इनमें से कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो विवादों से जुड़े होते हैं. ऐसे ही शख्स हैं सैंटियागो मार्टिन. 59 साल के मार्टिन शुरुआती दिनों में म्यांमार में मजदूरी करते थे. 1988 में वे म्यांमार से भारत लौटे और लॉटरी का कारोबार शुरू किया. उन्होंने कोयंबटूर में मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड की स्थापना की. धीरे-धीरे सैंटियागो मार्टिन को 'लॉटरी मार्टिन' के नाम से पहचाने जाने लगा.
कोयंबटूर में लॉटरी किंग बनने के बाद मार्टिन ने कर्नाटक और केरल का रूख किया और फिर अपने लॉटरी के कारोबार का सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र में विस्तार किया. दरअसल, लॉटरी का सीधा कनेक्शन आम लोगों से होता है, जो कम समय और खर्च में ज्यादा रकम हासिल कर अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं. मार्टिन ने आम लोगों को इसी सपने को दिखाकर अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया.
सब कुछ सही चल रहा था कि अचानक 2008 में सैंटियागो मार्टिन चर्चा में आ गए. मार्टिन पर सिक्किम सरकार को 4,500 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाने का आरोप पहले ही लग चुका था. 2008 में सामने आया कि मार्टिन ने केरल सीपीआई (एम) के मुखपत्र 'देशाभिमानी' को 2 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. ये वो वक्त था, जब केरल सीपीआई (एम) में आतंरिक कलह था और पार्टी दो गुटों में बंटी थी. एक गुट पिनाराई विजयन का था, जबकि दूसरा गुट वीएस अच्युतानंदन का था.
मार्टिन की ओर से मुखपत्र को जब 2 करोड़ रुपये चंदा मिला था, तब मुखपत्र का नियंत्रण विजयन के पास ही थी. मामले की जानकारी के बाद दूसरे गुट को लीड कर रहे वीएस अच्युतानंदन ने विजयन पर करारा हमला बोला, जिसके बाद उन्हें मार्टिन को पैसे लौटाने पड़े. मुखपत्र के जनरल मैनेजर के रूप में काम कर रहे कद्दावर मालाबार नेता ईपी जयराजन को हटाना पड़ा. इस मामले के बाद, 'लॉटरी मार्टिन' केरल की राजनीति से जुड़ा नाम बन गया.
जो लोग मार्टिन को जानते थे, उन्हें 2 करोड़ रुपये के दान पर आश्चर्य हुआ था. उनका मानना था कि ये रकम पार्टियों और राजनेताओं पर खर्च होने वाली राशि की तुलना में काफी कम है. हालांकि, मामले के कुछ साल बाद 2015 में अच्युतानंदन ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं एकमात्र ऐसा नेता था, जिसने मार्टिन को टक्कर दी. अच्युतानंदन ने लॉटरी को लेकर अपनी राय भी रखी. उन्होंने कहा कि ये वंचितों के लिए एक जीवन रेखा और आशा की किरण के रूप में है, जो जनता के लिए हानिरहित सपना है. उन्होंने ये भी कहा कि केरल का लॉटरी टिकट राजस्व इसका प्रमाण है, राज्य का राजस्व 2011 में 557 करोड़ रुपये था, जो 2015 में बढ़कर 5,696 करोड़ रुपये और 2020 में बढ़कर 9,974 करोड़ रुपये हो गया.
चूंकि, मार्टिन तमिलनाडु के रहने वाले थे, लिहाजा यहां के राजनीतिक पार्टियों से भी उनके संंबंध ठीक थे, जिसका फायदा उन्होंने अपने कारोबार को फैलाने में उठाया. कहा जाता है कि 2011 में एक तमिल फिल्म आई थी, जिसका नाम 'इलाइगनन' था. फिल्म की कहानी तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने लिखी थी. सिर्फ इसलिए सैंटियागो मार्टिन ने इस फिल्म को प्रोड्यूस किया था.
जब तक DMK की सरकार थी, तब तक मार्टिन का सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन जब जयललिता की पार्टी AIADMK सत्ता में आई तो मार्टिन की किस्मत खराब हो गई. उन्हें डीएमके के सैकड़ों नेताओं और समर्थकों के साथ भूमि कब्जा करने के आरोप और गुंडा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, कुछ महीनों बाद मद्रास हाई कोर्ट ने उनकी हिरासत रद्द कर दी और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.
मार्टिन 8 महीने से अधिक समय तक जेल में रहे और कई लॉटरी मामलों में CBI के आरोपपत्रों का सामना करना शुरू कर दिया. इसके बाद, उनके समर्थन में पत्नी लीमा रोज़ उतरीं. लीमा रोज ने मई 2012 में एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई, जिसमें DMK चीफ एम करुणानिधि के परिवार के करीबी समेत दो लॉटरी एजेंटों पर मार्टिन को फर्जी लॉटरी मामले में फंसाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. कुछ दिनों बाद वे भारतीय जननायगा काची (आईजेके) में भी शामिल हुईं और तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के साथ कोयंबटूर में चुनावी अभियान के दौरान मंच पर दिखाई दीं.
सैंटियागो मार्टिन के दामाद आधव अर्जुन फिलहाल राजनीति में एक्टिव हैं और उन्हें एमके स्टालिन के दामाद सबरीसन का करीबी माना जाता है. आधव अर्जुन हाल ही में दलित राजनीतिक संगठन और डीएमके सहयोगी, विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) में उप महासचिव के रूप में शामिल हुए हैं. VCK में शामिल होने से पहले अर्जुन की पहचान हमेशा चुनाव के दौरान डीएमके के लिए संसाधन जुटाने से जुड़ी थी. DMK चीफ के परिवार से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, अर्जुन वीसीके में इसलिए शामिल हुए, क्योंकि उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला. अर्जुन राजनीति में एक्टिव होने के साथ-साथ बास्केटबॉल खिलाड़ी और जिम ट्रेनर भी हैं. कहा जाता है कि अर्जुन की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं काफी ज्यादा है.
सैंटियागो मार्टिन का कारोबार लॉटरी से कहीं ज्याद बढ़ चुका है, जिनमें कोयंबटूर के पास मार्टिन होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, एसएस म्यूजिक, एक टीवी म्यूजिक चैनल, एमएंडसी प्रॉपर्टी डेवलपमेंट, मार्टिन नन्थावनम अपार्टमेंट और लीमा रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड शामिल है.
लॉटरी के कारोबार से कई अन्य कारोबार तक पहुंचने वाले मार्टिन कई बार चर्चा में भी रहे हैं...
मार्टिन पर आखिरी कार्रवाई मई 2023 में हुई थी, जब ED ने सिक्किम सरकार को 900 करोड़ रुपये से अधिक के कथित नुकसान से जुड़े मामले में PMLA के तहत 457 करोड़ रुपये जब्त किए थे.