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कर्नाटक के पूर्व सीएम S M Krishna का निधन, 92 वर्ष की उम्र में ली आखिरी सांस

S M Krishna Passes Away: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा का आज 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे उम्र से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे और बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे. डॉक्टरों की देखभाल के बावजूद, उन्होंने मंगलवार, 10 दिसंबर को अंतिम सांस ली.

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Edited By: Shilpa Srivastava
S M Krishna

S M Krishna Passes Away: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा का आज 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वे उम्र से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे और बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे. डॉक्टरों की देखभाल के बावजूद, उन्होंने मंगलवार, 10 दिसंबर को अंतिम सांस ली. शुरुआत में उन्हें उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए वायदेही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में, फेफड़ों में इनफेक्शन के चलते, उन्हें मणिपाल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों की टीम ने उनका इलाज किया जिसमें डॉ. सत्यनारायण मैसूर और डॉ. सुनील करंथ शामिल थे. 

एस.एम. कृष्णा ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है. वे दिसंबर 1989 से जनवरी 1993 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रहे. 1971 से 2014 के बीच वे अलग-अलग समय पर लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भी रहे.

बता दें कि मार्च 2017 में, एस.एम. कृष्णा ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया था और वो भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ गए थे। 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार में उन्होंने काफी सक्रिय भूमिका निभाई थी। लेकिन बाद में उम्र और स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां के चलते उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया था। शिक्षा के क्षेत्र में एस.एम. कृष्णा का जीवन भी काफी प्रेरणादायक रहा. उन्होंने मैसूर के महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। फिर बेंगलुरु के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी कीष। इसके बाद अमेरिका के टेक्सास स्थित सदर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी से हाइअर एजुकेशन प्राप्त की. 

अगस्त 2021 में मडूर के दौरे के दौरान, एस.एम. कृष्णा ने राजनीति छोड़ने का जिक्र करते हुए कहा, "मैं 55 साल से राजनीति में हूं. मेरी उम्र में अब सक्रिय राजनीति करना संभव नहीं है." 2021 में, उन्होंने मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन किया, जो कर्नाटक की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाता है. उनका निधन राजनीति और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है.