S Jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को चीन के 'माइंड गेम' के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा कि भारत अपने अधिकारों को लेकर सजग है और हम इसका उपयोग करने से कभी पीछे नहीं नहीं हटेंगे. जयशंकर ने रायसीना डायलॉग 2024 में भाग लेते हुए, चीन पर निशाना साधा. विदेश मंत्री ने कहा कि चीन की गलतियों पर किसी न किसी स्तर पर हर कोई चुप हो जाता है. इससे स्थिति और बिगड़ती हैं.
विदेश मंत्री कहा कि सुधार की कोशिशों में सबसे बड़ी अड़चन पश्चिमी देश नहीं है. इसके लिए भारत को थोड़ा-थोड़ा करके लंबे समय तक कोशिश करनी पड़ सकती है. भारत लंबे समय से यूएनएससी में स्थाई सदस्यों की संख्या को बढ़ाने और खुद को इसका सदस्य बनाने की मांग कर रहा है.
जयशंकर ने अनुमानों का हवाला देते हुए दोनों देशों के एकजुट होने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया है कि 2075 तक, दोनों देश 50 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का दावा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मैं इस बात से इनकार नहीं कर रहा हूं कि आज के आंकड़े क्या सुझाते हैं, लेकिन अगर कोई गोल्डमैन सैक्स की भविष्यवाणियों को देखता है, तो हम दोनों वास्तव में लगभग 2075 तक $50 ट्रिलियन से अधिक की अर्थव्यवस्था होंगे.
भारत के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि हमने हमेशा से वैश्विक बहुराष्ट्रीय संस्थानों का सम्मान किया है और उन पर भरोसा किया है. आजादी के तुरंत बाद कश्मीर में आक्रमण का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र लेकर भारत गया था लेकिन वहां इसे दूसरा रंग दे दिया गया और भूराजनीतिक तौर पर इस्तेमाल किया गया. पांच देशों का दृष्टिकोण अदूरदर्शी है, इस कारण लंबे समय से लंबित सुधार अटका पड़ा है.
विदेश मंत्री ने कहा, अगर आप सुरक्षा परिषद में शामिल देशों पूछेंगे कि आपकी शक्तियां कम होंगी, तो उनकी प्रतिक्रिया का अंदाजा लगाना कठिन नहीं होगा. अगर ये देश बुद्धिमान हैं, तो इनका उत्तर कुछ और होगा. हालांकि, अगर वे अदूरदर्शी हैं, तो उत्तर वही होगा जो आज है.
बता दें कि UNSC में पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं. इनके पास किसी भी देश की तरफ से पेश किए गए ठोस प्रस्ताव पर वीटो करने का अधिकार है. भारत एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाया है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसका विरोध करने वाले सभी देशों को आड़े हाथों भी लिया.