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India Daily

रूस ने बढ़ाई चीन की मुश्किल, बांग्लादेश के चटगांव पोर्ट पर खड़े किये युद्धपोत, भारत के लिए क्या हैं मायने?

रूसी युद्धपोत कई दिनों तक चटगांव में रहेंगे. रूसी जहाजों की यह यात्रा बांग्लादेश के चीन पर सैन्य निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Russia warships at Chittagong Port in Bangladesh what does it mean for India and China

रूस ने दक्षिण एशिया में रणनीतिक समीकरण बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है. रविवार को तीन रूसी नौसैनिक जहाज—एडमिरल ट्रिब्यूट्स, एडमिरल पैंटेलेयेव और टैंकर पेचेंगा—बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पहुंचे. यह घटना बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल एसएम शफीउद्दीन अहमद की हालिया मॉस्को यात्रा के बाद हुई, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य संबंधों का संकेत देती है.

"मैत्रीपूर्ण यात्रा" या रणनीतिक कदम?
ढाका ने इस नौसैनिक ठहराव को "मैत्रीपूर्ण बंदरगाह यात्रा" करार दिया है, लेकिन यह घटना बंगाल की खाड़ी में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों पर सवाल उठा रही है. रूसी युद्धपोत कई दिनों तक चटगांव में रहेंगे. आधिकारिक तौर पर इसका उद्देश्य रसद आपूर्ति और नौसैनिक कूटनीति बताया गया है, लेकिन जनरल अहमद की मॉस्को वापसी के तुरंत बाद यह कदम संयोग नहीं माना जा रहा. यह रूस की दक्षिण एशिया में भारत जैसे पारंपरिक सहयोगियों से इतर प्रभाव बढ़ाने की कोशिश को दर्शाता है.

चीन की चिंता
रूसी जहाजों की यह यात्रा बांग्लादेश के चीन पर सैन्य निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2018-2022 के बीच बांग्लादेश के 74% हथियार आयात चीन से हुए. चीन ने बांग्लादेश को फ्रिगेट, टैंक, जेट और पनडुब्बियां जैसे रक्षा उपकरणों की आपूर्ति की है. बेल्ट एंड रोड पहल के तहत निवेश ने भी बीजिंग का प्रभाव बढ़ाया है. लेकिन रूस का बढ़ता दखल, खासकर नौसैनिक क्षेत्र में, चीन के प्रभाव को कमजोर कर सकता है.

भारत के लिए निहितार्थ
भारत के दृष्टिकोण से यह यात्रा दोतरफा प्रभाव डाल सकती है. नई दिल्ली रूस की बढ़ती उपस्थिति को चीन के प्रभाव को संतुलित करने के रूप में देख सकती है. भारत और रूस के बीच मजबूत रक्षा संबंध हैं, और मॉस्को भारत का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है. रूस की नौसैनिक मौजूदगी भारत के हितों को अप्रत्यक्ष रूप से मजबूत कर सकती है. हालांकि, भारत बंगाल की खाड़ी में बाहरी सैन्य उपस्थिति को सीमित करने की वकालत करता रहा है. रूस जैसे मित्र देश की मौजूदगी भी भारत के "भारत-नेतृत्व वाली सुरक्षा ढांचे" को जटिल बना सकती है.

भविष्य पर नजर
भारत रूसी नौसैनिक यात्राओं की आवृत्ति और गहराई पर नजर रखेगा. अगर यह नियमित हो गया, तो बंगाल की खाड़ी में नौसैनिक शक्ति का समीकरण बदल सकता है, जहां भारत का दबदबा रहा है और चीन की गश्त बढ़ रही है.