रुद्रप्रयाग हादसा: 20 सीट, 26 सवारी, नौसिखिया ड्राइवर, 15 लोगों की मौत, इस गुनाह का कब होगा इंसाफ?
रुद्रप्रयाग में 15 जून को हुए हादसे में सूचना प्रसारण मंत्रालय CBC में असिस्टेंट डायरेक्टर कैलाश चंद्र मीना के बेटे अभिषेक की भी मौत हुई थी. उनके दावे सुनकर ट्रैवेल एजेंसियों की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि ड्राइवर नौसिखिया था, हादसे के बाद घरवालों को कई घंटे तक कोई जानकारी नहीं दी गई. पढ़िए इस परिवार की आपबीती, जिसने अपने 19 साल के बच्चे को खो दिया है.
पहाड़ों की सैर कराने वाली ट्रैवेल एजेंसियों, ट्रिप के नाम पर ऐसी धांधली करती हैं, जो लोगों की जान पर भारी पड़ जाती है. कई ट्रैवेल एजेंसियों के पास न तो ढंग के पहाड़ी ड्राइवर हैं, न ही उनके पास सही तरीके से हासिल किया गया ड्राइविंग लाइसेंस है. आलम ये है कि गाड़ी कोई और चला रहा है, ड्राइविंग टेस्ट किसी और ने दिया है. पैसे लेकर ड्राइविंग लाइसेंस लोग हासिल कर रहे हैं. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में हुए एक हादसे ने लापरवाही की कई ऐसी पर्तें खोली हैं, जिन्हें जानकर आपकी रूह कांप जाएगी.
रुद्रप्रयाग में 15 जून को हुए हादसे में अब बड़ी लापरवाही की खबरें सामने आ रही हैं. ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने रुद्रप्रयाग हादसे पर जो जानकारियां दी हैं, वो हैरान करने वाली हैं. गाड़ी चला रहे ड्राइवर के पास लाइसेंस तो था लेकिन वह जैसे मिला था, उसे जानकर आप सिर पीट लेंगे.
सूचना प्रसारण मंत्रालय CBC में असिस्टेंट डायरेक्टर कैलाश चंद्र मीना के बेटे अभिषेक मीना की इस हादसे में मौत हो गई. अभिषेक सिम्बायोसिस कॉलेज में कानून की पढ़ाई करते थे. उनका कहना है कि ड्राइवर नौसिखिया था और 11 घंटों से लगातार जगा था. उसे लाइसेंस कैसे मिला है, यह भी हैरान करने वाला है. ट्रैवेल एजेंसी ने हादसे के घंटों बाद ये बताया कि ऐसा कोई एक्सीडेंट हुआ है.
बिना RTO टेस्ट के मिला ड्राइविंग लाइसेंस!
पीड़ित परिवारों की और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने का ऑनलाइन टेस्ट भी किसी और ने दिया था और ड्राइवर की ओर से फीस सबमिट कर दी गई थी. रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि ड्राइवर की फिजिकल परीक्षा भी नहीं हुई थी. ड्राइवर नौसिखिया था. ड्राइवर पहली बार पहाड़ पर गाड़ी चला रहा था. वह पहाड़ी रूट पर गाड़ी चलाने के योग्य ही नहीं था.
250 फीट गहरे खाई में गिरी थी गाड़ी
देहरादून के ट्रासंपोर्ट विभाग में ये रिपोर्ट अभी विचाराधीन है लेकिन परिवार इंसाफ मांग रहा है. एक टेंपो ट्रैवेलर व्हीकल, 15 जून को रुद्रप्रयाग में 250 मीटर खाई में जा गिरा था. ये गाड़ी अलकनंदा नदी में जा गिरी थी. गाड़ी का कुछ हिस्सा पानी में डूबा था, पूरी गाड़ी के परखच्चे उड़ गए थे. इसमें कई यात्रियों की मौत अस्पताल जाते-जाते हो गई थी.
11 घंटे से लगातार गाड़ी चला रहा था ड्राइवर, पलक झपकते मौत!
रुद्रप्रयाग के रीजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारी का कहना है कि लाइसेंस की फीस का मुद्दा हमारे सामने आया है. इसकी जांच की जा रही है. सरकार ने इस हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. ऋषिकेश से लेकर रुद्रप्रयाग तक जाने वाली ऑल वेदर रोड, सिर्फ 30 किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से ही चलने योग्य है लेकिन गाड़ी स्पीड में थी, जिसकी वजह से लोगों की जान आफत में आई. ड्राइवर लगातार 11 घंटे से गाड़ी ड्राइव कर रहा था, उसे नींद आई और इतना बड़ा हादसा हो गया.
सूचना प्रसारण मंत्रालय CBC में असिस्टेंट डायरेक्ट कैलाश चंद्र मीना के बेटे अभिषेक मीना की भी इस हादसे में मौत हुई है. उन्होंने कहा, 'हमने एक ट्रिप चोपाता के 'द हिट ट्रिप' से बुक किया था. हमें स्माइल ट्रैवेल्स सर्विस की ओर से गाड़ी मिली है. हिट ट्रिप ने बताया कि शाम 5.30 मिनट पर हादसा हुआ है. टेलीफोन पर हुई बातचीत में यह पता चला कि हादसा 11.30 बजे दोपहर को हुआ है. एजेंसी ने बच्चों के घरवालों को शाम तक जानकारी नहीं दी. हिट ट्रिप और स्माइल सर्विस दोनों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.'
किन धाराओं के तहत दर्ज हुआ है केस?
रुद्रप्रयाग में दर्ज FIR के मुताबिक अभी तक, भारतीय दंड संहिता की धारा 279, 304 ए और 338 के तहत केस दर्ज हुआ है. पीड़ित पक्ष का कहना है कि यह ट्रैवेलर 26 लोगों को लेकर जा रही थी, जबकि इसकी क्षमता सिर्फ 20 लोगों की थी. गाड़ी में सिर्फ एक ड्राइवर था, वह भी नौसिखिया था.
इलाज में भी हुई लापरवाही, नहीं हुआ ट्रीटमेंट!
मृतक के परिवार वालों का कहना है कि हादसे के बाद घायलों को AIIMS में भर्ती तो करा दिया गया लेकिन उनका ऑपरेशन तक नहीं किया गया. अस्पताल में भी लापरवाही हुई. हादसा 12 बजे हुआ लेकिन उन्हे एडमिट 3.30 बजे कराया गया. घायलों को सही समय पर इलाज नहीं मिला. परिवार का कहना है कि ट्रैवेल एजेंसी पर हत्या का मुकदमा चलना चाहिए.