नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो लोकसभा सीटों की पेशकश करने वाली TMC ने राष्ट्रीय गठबंधन समिति के साथ आगे की बातचीत से इनकार कर दिया है, लेकिन दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत के दरवाजे खुले हैं. TMC का कहना है कि बंगाल में जमीनी हकीकत के आधार पर TMC की तरफ से कांग्रेस को दो सीटों की पेशकश की गई थी. इसलिए किसी समिति के साथ किसी भी अन्य बैठक से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा.
टीएमसी का कहना है कि कांग्रेस को स्वीकार करना चाहिए कि वे बंगाल में बहुत कमजोर हैं. टीएमसी ने पहले ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को अपना विचार बता दिया है. हम इंडिया ब्लॉक के प्रति प्रतिबद्ध हैं और बीजेपी को हराने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लेते हैं. हम ईमानदारी से चाहते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व बंगाल इकाई की सीमाओं और कमजोरियों को स्वीकार करे और हमें राज्य में लड़ाई का नेतृत्व करने की अनुमति दें.
वहीं कांग्रेस के गठबंधन पैनल के एक सदस्य ने कहा कि टीएमसी की ओर से पेशकश की गई दोनों सीटें वर्तमान में कांग्रेस के पास हैं, जिससे पार्टी के लिए समझौते को स्वीकार करना मुश्किल हो गया है. टीएमसी ने मेघालय में भी एक सीट यह तर्क देते हुए मांगी है कि पिछले विधानसभा चुनावों में उसे 13.8% वोट शेयर मिला था, जो कांग्रेस से थोड़ा अधिक है. कांग्रेस के दिग्गज नेता मुकुल वासनिक के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय गठबंधन समिति अब तक सीट बंटवारे को लेकर RJD, JDU, AAP, शिव सेना (उद्धव), NCP और समाजवादी पार्टी से प्रारंभिक दौर की बातचीत कर चुके है. ममता बनर्जी ने 19 दिसंबर को नई दिल्ली में इंडिया ब्लॉक की बैठक से इतर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ सीटों के बंटवारे पर चर्चा की थी. उस बैठक में बनर्जी ने मालदह दक्षिण और बहरामपु इन दो सीटों की पेशकश की थी जो वर्तमान में बंगाल में कांग्रेस के पास हैं.
इंडिया गठबंधन को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, उनमें सीट शेयरिंग फॉर्मूले के साथ-साथ पीएम के चेहरे पर विपक्षी दलों को भरोसे में लेते हुए सर्वानुमती बनाना है. बीते दिनों इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित किया गया. सीएम ममता बनर्जी और केजरीवाल की तरफ से पीएम चेहरे के तौर पर नाम प्रस्तावित किये जाने के बाद खड़गे ने साफ तौर पर इंकार करते हुए बड़ा सियासी दांव चला है. अब देखना यह दिलचस्प होता जा रहा है कि इंडिया गठबंधन किसी रणनीति के साथ आगे बढ़ती है.