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India Daily

'महिला और पुरुष एक जैसे नहीं होते', इस मुस्लिम नेता के बयान पर मचा बवाल

यह बयान न केवल IUML बल्कि पूरे संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (UDF) के लिए राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है. जहां एक ओर कुछ लोग इसे उनके व्यक्तिगत विचार के रूप में देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों ने इसे एक गंभीर मुद्दे के रूप में उठाया है.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
ruckus in Kerala over M A Salam statement that women and men are not same
Courtesy: Social Media

केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के राज्य महासचिव पी. एम. ए. सलाम के एक विवादास्पद बयान ने राजनीतिक हलकों में तूफान मचा दिया है. उन्होंने हाल ही में मलप्पुरम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महिला और पुरुष एक जैसे नहीं होते, और जो इस बात का दावा करते हैं, वे "अपनी आँखें बंद करके अंधेरा करना" जैसा काम कर रहे हैं. उनके इस बयान ने काफी हलचल पैदा कर दी है और इसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक चर्चा तक तेज हो गई है.

बयान में उठाया गया मुद्दा

पी. एम. ए. सलाम ने अपनी बात का समर्थन करते हुए एक उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि ओलंपिक जैसे बड़े खेल आयोजनों में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग श्रेणियाँ होती हैं. उनका सवाल था, "क्या यह इस बात का संकेत नहीं है कि महिला और पुरुष अलग हैं?" उनके अनुसार, इस तरह की अलग-अलग श्रेणियाँ इस तथ्य को साबित करती हैं कि पुरुष और महिला समान नहीं हैं. सलाम ने आगे कहा, "क्या हम यह कह सकते हैं कि पुरुष और महिला हर मामले में बराबरी पर हैं? क्या दुनिया ने इसे स्वीकार किया है?"

उनका यह बयान महिला-पुरुष समानता पर सवाल उठाने वाला था और उन्होंने इसे इस रूप में प्रस्तुत किया कि यह दावा करना कि पुरुष और महिला समान हैं, "अपनी आँखें बंद करने जैसा है."

विवाद और प्रतिक्रिया

सलाम के इस बयान पर राजनीति और समाज में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. कई महिलाओं और सामाजिक संगठनों ने इस बयान को महिला अधिकारों के खिलाफ और महिला-पुरुष समानता के सिद्धांत को कमजोर करने वाला बताया है. वहीं, कुछ लोग इसे एक सच्चाई मानते हुए उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, उनका मानना है कि कुछ पहलुओं में महिला और पुरुष की शारीरिक संरचना और क्षमता अलग होती है.

हालाँकि, कांग्रेस-आला IUML ने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य हमेशा समानता और लैंगिक न्याय को बढ़ावा देना है, न कि सिर्फ लैंगिक समानता. सलाम ने यह भी कहा कि उनका बयान सिर्फ एक उदाहरण था, और इसका उद्देश्य यह बताना था कि पुरुष और महिला के बीच कुछ अंतर हो सकता है, लेकिन यह समानता का विरोध नहीं करता.