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India Daily

'WTO से बाहर निकले भारत, हो रहा भारी नुकसान', RSS ने सरकार को चेताया

RSS urges India To Exit From World Trade Organization: इसके अलावा, यूरोपीय संघ (EU) और अन्य देश भारत के साथ नए साझेदारी समझौते करने की ओर बढ़ रहे हैं, खासकर रक्षा जैसे क्षेत्रों में. भारत को अपने उद्योगों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है ताकि वह इन विदेशी बाजारों में अपनी जगह बना सके.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
RSS urges India To Exit From World Trade Organization due to loss
Courtesy: Social Media

RSS urges India To Exit From World Trade Organization: अमेरिका द्वारा भारत पर प्रतिशोधी शुल्क (reciprocal tariff) लगाने के बाद, स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने भारत सरकार से एक नई अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति पर विचार करने की अपील की है. स्वदेशी जागरण मंच, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक सहयोगी संगठन है, ने कहा है कि भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर निकलने पर विचार करना चाहिए और WTO के कुछ "शोषक" समझौतों से बाहर आना चाहिए. इनमें से मुख्यतः TRIPS और TRIMS समझौते हैं, जिनसे भारत को भारी नुकसान हो रहा है.

TRIPS और TRIMS समझौतों से भारत को नुकसान

स्वदेशी जागरण मंच का कहना है कि TRIPS (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights) समझौता भारत के लिए बेहद हानिकारक रहा है. इस समझौते के कारण भारत को भारी रॉयल्टी खर्च उठाना पड़ा है, जो 1990 के दशक में एक अरब डॉलर से कम था, और अब यह खर्च 17 अरब डॉलर प्रति वर्ष से अधिक हो चुका है. इसके अलावा, TRIPS समझौते का असर भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है, क्योंकि यह भारत को दवाओं पर उच्च कीमतों का सामना करने को मजबूर करता है.

TRIMS (Trade-Related Investment Measures) समझौता भी भारत के लिए समस्या बन चुका है. यह समझौता व्यापार में अड़चने डालने वाले निवेश उपायों को सीमित करता है और इससे भारत को नुकसान उठाना पड़ता है. इन दोनों समझौतों ने भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापारिक हितों को प्रभावित किया है.

अमेरिका के शुल्क से भारत को क्या नुकसान हो सकता है?

हाल ही में अमेरिका ने भारत से आयातित सामान पर 26 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जिससे भारत के लिए व्यापार करना और कठिन हो गया है. स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि यह शुल्क पूरी तरह से WTO के नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि जब अमेरिका जैसे विकसित देश WTO के नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, तो अब समय आ गया है कि भारत अपने व्यापारिक समझौतों पर फिर से विचार करे और TRIPS और TRIMS जैसे समझौतों से बाहर निकलने का कदम उठाए.

भारत को नए अवसरों की आवश्यकता है

राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि यह समय भारत के लिए एक रणनीति बनाने का है, जिससे उसे इस स्थिति का लाभ मिल सके. यदि भारत WTO से बाहर निकलता है, तो अमेरिका में भारतीय उत्पादों के लिए नए बाजार खुल सकते हैं, जबकि चीन से आयातित सामान पर लगाए गए शुल्क के कारण चीन से प्रतिस्पर्धा करने का अवसर भी मिल सकता है.

चीन और अन्य देशों से भारत को हुए नुकसान

राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने यह भी कहा कि भारत को चीन द्वारा की जा रही "अनुचित व्यापार प्रथाओं" का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें चीन द्वारा किए गए डंपिंग और चीन सरकार द्वारा दिए गए अवैध सब्सिडी शामिल हैं. इसके अलावा, WTO के "कानूनी" नियमों के तहत भारत को चीन जैसे गैर-बाजारी अर्थव्यवस्था को सबसेfavoured nation (MFN) का दर्जा देना पड़ा है, जिससे भारत को अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ा है. इसके साथ ही, अमेरिका जैसे विकसित देशों द्वारा कृषि उत्पादों पर दी जा रही अवैध सब्सिडी भी भारतीय किसानों और व्यापारियों के लिए समस्याएं खड़ी कर रही हैं.