2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत ने न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं की मेहनत को साबित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे एक मजबूत संगठनात्मक रणनीति और जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने वोटर्स के बीच सेंधमारी की. इस चुनावी जीत में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रणनीतिक दांव को और भी मजबूत किया, और इसमें सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का. RSS ने "दिल्ली बचाओ अभियान" के तहत स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया और इसने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की वोटबैंक में बड़ी सेंधमारी की.
RSS की ‘दिल्ली बचाओ अभियान’ की रणनीति
10 प्रमुख मुद्दे जिन पर RSS ने ध्यान केंद्रित किया
RSS ने दिल्लीवासियों से संवाद करते हुए 10 प्रमुख मुद्दों पर जोर दिया. इन मुद्दों में मुख्य रूप से साफ-सफाई, स्वच्छ जल, स्वास्थ्य सेवाएं, महिलाओं की सुरक्षा, सड़कें, यमुनाः नदी की सफाई, वायु प्रदूषण, अवैध आप्रवासी, सीवेज सिस्टम और रोजगार के अवसर शामिल थे. खासकर यमुनाः नदी और पानी के संकट पर उठाए गए सवालों ने दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी इलाकों में बड़ी सेंधमारी की और AAP के समर्थकों को प्रभावित किया.
यमुनाः नदी और पानी संकट
RSS कार्यकर्ताओं ने यह मुद्दा उठाया कि पिछले 10 वर्षों में यमुनाः नदी की स्थिति बद से बदतर हो गई है. इसके अलावा, दिल्ली के 43 प्रतिशत झुग्गी-झोपड़ी इलाकों के लोग या तो पानी टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं या बोतलबंद पानी का उपयोग करते हैं. यह मुद्दा विशेष रूप से निम्न-आय वर्ग के वोटर्स के बीच प्रभावी था, जिन्होंने इस मुद्दे को महसूस किया और AAP से दूर हो गए.
मोहल्ला क्लिनिक का प्रभाव
RSS कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में AAP द्वारा चलाए गए मोहल्ला क्लिनिक मॉडल की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि 70 प्रतिशत लोग निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना दिल्ली में सही ढंग से लागू नहीं की गई है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य सेवा की लागत में वृद्धि हुई है.
सकारात्मक चर्चा और विकास के मुद्दे
RSS कार्यकर्ताओं ने सकारात्मक और विकासात्मक मुद्दों पर चर्चा की, जैसे कि दिल्ली में योजनाबद्ध शहरी विकास, किफायती आवास, समावेशी विकास मॉडल, सरकारी कार्यों में तकनीकी नवाचार और महिला सुरक्षा. हालांकि, RSS ने कभी भी AAP या कांग्रेस का नाम लेकर आलोचना नहीं की. उनका मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच सकारात्मक चर्चा को बढ़ावा देना और उन्हें स्थानीय विकास के मुद्दों पर सोचने के लिए प्रेरित करना था.
RSS की रणनीति
RSS कार्यकर्ताओं ने पूरे अभियान में न तो AAP और न ही कांग्रेस का नाम लिया. उनका पूरा ध्यान स्थानीय मुद्दों पर था और उन्होंने किसी प्रकार के राजनीतिक हमले से बचते हुए चर्चा की. उनके अभियान का मुख्य उद्देश्य था विकास की बात करना और लोगों के बीच जागरूकता फैलाना. RSS कार्यकर्ता कम बोलते थे और ज्यादा सुनते थे, जिससे उन्हें स्थानीय मुद्दों पर जनता की राय जानने का मौका मिला, जो भाजपा की व्यापक रणनीति को परिष्कृत करने में सहायक साबित हुआ.