जनता दल यूनाइटेड के पांच वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. पार्टी के एक वर्ग में वक्फ (संशोधन) विधेयक के समर्थन को लेकर असंतोष है. बिहार चुनावों से पहले एनडीए सहयोगी दलों की भीतर तूफान पैदा करने वाले इस विधेयक को इस सप्ताह लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई.
सबसे ताजा इस्तीफा पार्टी की युवा शाखा के उपाध्यक्ष तबरेज हसन ने दिया है. उनसे पहले जेडीयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मोहम्मद शाहनवाज मलिक, अलीगढ़ से प्रदेश महासचिव मोहम्मद तबरेज सिद्दीकी , भोजपुर से सदस्य मोहम्मद दिलशान राइन और पूर्व प्रत्याशी मोहम्मद कासिम अंसारी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
तबरेज हसन ने शुक्रवार को जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना इस्तीफा भेजा. अपने इस्तीफ़े में उन्होंने कहा कि बिल के लिए पार्टी के समर्थन ने मुसलमानों का भरोसा तोड़ा है, जो मानते हैं कि यह पार्टी धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए खड़ी है.
तबरेज हसन ने सीएम नीतीश कुमार को लिखा पत्र
हसन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में लिखा, मुझे उम्मीद थी कि आप अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखेंगे, लेकिन आपने उन ताकतों के साथ खड़े होने का फैसला किया जो लगातार मुसलमानों के खिलाफ काम करती रही हैं. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार का वक्फ विधेयक अनुच्छेद 370 को खत्म करने, तीन तलाक कानून और नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे पहले के कदमों के बाद आया है, जिससे मुस्लिम हितों को नुकसान पहुंचा है.
हसन ने कहा कि उन्होंने पार्टी से विधेयक का विरोध करने का आग्रह करते हुए उर्दू और हिंदी में ज्ञापन सौंपे थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस्तीफा गहन विचार का परिणाम है. उन्होंने कहा, यह मेरी जिम्मेदारी का अंत नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है. इस बीच, एनडीए के एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) में भी इसी तरह का घटनाक्रम देखा गया, जिसने संसद में वक्फ विधेयक का समर्थन किया था.
उत्तर प्रदेश में आरएलडी के राज्य महासचिव शाहज़ेब रिजवी ने शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया. अपने इस्तीफ़े में उन्होंने पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी पर धर्मनिरपेक्षता छोड़ने और मुसलमानों का समर्थन न करने का आरोप लगाया. रिजवी ने कहा कि मुसलमानों ने बड़ी संख्या में जयंत चौधरी का समर्थन किया, लेकिन जब ज़रूरत थी, तब वे हमारे साथ खड़े नहीं हुए.
दोनों सदन में पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक
शुक्रवार को राज्यसभा में गहन बहस के बाद संसद ने आधी रात के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी. विधेयक को 128 मतों के पक्ष में और 95 मतों के विपक्ष में पारित किया गया, जबकि लोकसभा में इसे पारित होने में कड़ी टक्कर मिली थी - 288 सांसदों ने इसका समर्थन किया, जबकि 232 ने इसका विरोध किया.