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RG Kar case: 'मेरी बेटी के फोन का हो रहा है इस्तेमाल', पीड़िता के पिता ने किया सनसनीखेज दावा

RG Kar Murder Case: अगस्त 2024 में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ बर्बरता से बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, जिससे पूरे देश में गहरा आक्रोश और लंबे विरोध प्रदर्शन हुए.

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Edited By: Ritu Sharma
RG Kar Murder Case
Courtesy: Social Media

RG Kar Murder Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और रेप केस में नया मोड़ सामने आया है. पीड़िता के पिता ने चौंकाने वाला दावा किया है कि उनकी बेटी की मौत के बाद उसके मोबाइल फोन से व्हाट्सएप ग्रुप से निकाला गया, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि मोबाइल का इस्तेमाल किसी ने जानबूझकर किया.

इसको लेकर उन्होंने एएनआई को बताया, ''मेरी बेटी के दोस्त दो दिन पहले आए और उन्होंने दिखाया कि किसी ने उसके फोन को उनके कॉमन व्हाट्सएप ग्रुप से बाहर निकलने के लिए एक्सेस किया है.'' उन्होंने आगे यह भी कहा, ''फोन हमारे घर से चोरी हुआ था. सीबीआई के पास फोन है लेकिन अब वे उससे इनकार कर रहे हैं. फोन में ही सारे सवालों के जवाब छिपे हैं. अब मुझे देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा नहीं रह गया.''

'सीबीआई दो अलग-अलग रिपोर्ट दे रही है'

बता दें कि पीड़िता के वकील ने बताया कि पहले कोलकाता पुलिस ने मोबाइल जब्त किया था, जिसे बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया. वकील ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट और सियालदह जिला न्यायालय में दो अलग-अलग रिपोर्ट पेश की हैं, जिससे पूरे मामले पर शक गहराता जा रहा है. उन्होंने कहा, ''सीबीआई को पूरी जानकारी है कि अपराधियों के पीछे कौन है, लेकिन वे जानबूझकर सच नहीं बता रहे.'' फिलहाल यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और न्यायपालिका भी सीबीआई की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं दिख रही.

कौन है दोषी संजय रॉय?

बताते चले कि 9 अगस्त 2024 को डॉक्टर का अर्धनग्न शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में मिला था. संजय रॉय, जो कि एक पूर्व नागरिक स्वयंसेवक था, उसको 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया और बाद में अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया.

परिवार की उम्मीदें टूटीं, न्याय की मांग अब भी जारी

हालांकि, पीड़िता के पिता और उनके वकील का साफ कहना है कि मोबाइल फोन की जांच से ही सच्चाई सामने आ सकती है, लेकिन सीबीआई उसे छिपा रही है. यह मामला अब केवल न्याय की लड़ाई नहीं, बल्कि सिस्टम पर सवाल बन गया है.