रेवंत रेड्डी का शपथ ग्रहण आज; सोनिया, राहुल गांधी समेत I.N.D.I.A गठबंधन के नेता होंगे शामिल
रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना के कोडंगल सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की. रेवंत रेड्डी ने छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था.
Revanth Reddy take oath as Telangana CM today: रेवंत रेड्डी तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद की आज शपथ लेंगे. हैदराबाद के LB नगर स्टेडियम में दोपहर करीब एक बजे राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन 56 साल के रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाएंगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेवंत रेड्डी के साथ एक विधायक को डिप्टी CM और 12 अन्य को मंत्रिपद की शपथ दिलाई जा सकती है.
रेवंत रेड्डी के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया, राहुल गांधी समेत I.N.D.I.A गठबंधन के नेताओं के शामिल होने की संभावना है. कांग्रेस के एक पदाधिकारी के अनुसार, तेलंगाना में कांग्रेस को पहली जीत दिलाने वाले रेड्डी ने पिछले दो दिनों में कई विपक्षी नेताओं को फोन किया और व्यक्तिगत रूप से उनसे समारोह में शामिल होने का अनुरोध किया.
कांग्रेस पदाधिकारी ने बताया कि जिन नेताओं को रेवंत रेड्डी ने फोन किया, उनमें से अधिकांश ने उन्हें आश्वासन दिया कि समारोह में उनकी पार्टी का प्रतिनिधित्व किया जाएगा. कुछ नेताओं के उसी विमान में यात्रा करने की उम्मीद है जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी यात्रा कर सकती हैं.
टीएमसी के नेता भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम में होंगे शामिल
पदाधिकारी ने कहा कि सोनिया गांधी के अलावा, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के अन्य शीर्ष नेता इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक नेता ने पुष्टि की कि रेवंत रेड्डी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करने के लिए फोन किया था. चूंकि ममता बनर्जी के कार्यक्रम पहले से तय हैं, इसलिए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का एक सीनियर नेता कार्यक्रम में टीएमसी का प्रतिनिधित्व करेगा.
बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने केसीआर के नेतृत्व वाली बीआरएस को हरा दिया है. कांग्रेस को तेलंगाना चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला है. कांग्रेस को 119 सदस्यीय विधानसभा वाले राज्य में 64, जबकि बीआरएस को 39 औऱ भाजपा को 8 सीटें मिलीं हैं.
कौन हैं तेलंगाना के सीएम पद की शपथ लेने वाले रेवंत रेड्डी?
रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना के कोडंगल सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की. रेवंत रेड्डी ने छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. 1969 में जन्मे रेवंत रेड्डी ने एवी कॉलेज से बीए की पढ़ाई की. इसी दौरान वह छात्र नेता के रूप में एबीवीपी में शामिल हो गए. साल 2006 में उन्होंने मध्य मंडल ZPTC (जिला परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र) चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.
2009 में जीता था पहला विधानसभा चुनाव
2007 में फिर से रेवंत रेड्डी ने महबूब नगर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में स्थानीय निकाय चुनाव में जीत हासिल की. उनके काम से प्रभावित होकर टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. 2009 में उन्होंने टीडीपी की टिकट पर कोंडगल से चुनाव जीता और पहली बार विधानसभा पहुंचे. अपनी मेहनत और सक्रियता से वह धीरे-धीरे चंद्रबाबू नायडू के बेहद करीबी बन गए, जिसके बाद उन्होंने टीडीपी में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं. उन्होंने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी काम किया. साल 2014 में वह फिर से कोडंगल से विधायक चुने गए.
नोट के बदले वोट कांड में हुए गिरफ्तार
2015 के एमएलसी चुनावों में उन्हें नोट देकर वोट खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. हालांकि रेवंत इस गिरफ्तारी से बिल्कुल भी नहीं डरे और उन्होंने इसे विरोधी केसीआर उनके सहयोगियों की साजिश बताया. गिरफ्तारी के बाद ही रेवंत रेड्डी ने अपनी मूछों में ताव देकर केसीआर को सीएम की कुर्सी से हटाने की कसम खाई थी और आज नतीजा आपके सामने है.
कांग्रेस के साथ आने वाली कहानी क्या है?
जेल जाने के बाद रेवंत ने अपनी खुद की सोशल मीडिया आर्मी बनाई और जनता के बीच अपनी छवि सुधारने में कामयाब रहे. रेवंत के जेल जाने और चंद्रबाबू नायडू द्वारा ज्यादा ध्यान नहीं दिए जाने के कारण टीडीपी तेलंगाना में कमजोर पड़ने लगी, नतीजा यह हुआ कि पार्टी के सभी विधायक पार्टी छोड़कर चले गए. अब केवल रेवंत ही पार्टी में अकेले बचे थे. इसी दौरान कांग्रेस के नेता जो पहले से ही कमजोर हो रहे थे वे रेवंत के संपर्क में आए. जब चंद्रबाबू नायडू को यह पता चला तो उन्होंने रेवंत रेड्डी को पार्टी से निलंबित कर दिया.
30 अक्टूबर 2017 को उन्होंने राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस में आने के बाद रेवंत रेड्डी का करियर लगातार परवान चढ़ता गया. कांग्रेस में आने के बाद उन्होंने सत्तारूड़ बीआरएस के नेताओं पर जमकर हमला बोला और अपनी वाकपटुता से सरकार के विरोधियों को अपने साथ मिलाने में कामयाब रहे.