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India Daily

'न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि', सुप्रीम कोर्ट विवाद के बीच सरकार का सख्त संदेश-सूत्र

सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने के कुछ समय बाद आया है, जिसके कारण देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
supreme court of india
Courtesy: Social Media

देश के शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा है कि न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है. लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं. यह बयान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा नेताओं के एक वर्ग द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधने के बाद आया है. सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने एनडीटीवी को बताया कि न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है. लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं. न्यायपालिका और विधायिका एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.

यह स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने के कुछ समय बाद आया है, जिसके कारण देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ संबंधी सभी याचिकाओं पर उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत विचार करने को तैयार है.  

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ संबंधी सभी याचिकाओं पर उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत विचार करेगी. सभी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है. भारत संघ सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा.

सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ हमलावर हैं कुछ नेता

न्यायपालिका के सम्मान पर केंद्र की टिप्पणी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा शीर्ष अदालत के खिलाफ कड़े शब्दों के बाद आई है. उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी हैं, ने तमिलनाडु के फैसले को लेकर शीर्ष अदालत पर निशाना साधा, जिसने प्रभावी रूप से राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए विधायिका द्वारा दूसरी बार पारित विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा तय की. हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर अनुच्छेद 142 (लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है. 

धनखड़ ने आज इस बात पर जोर दिया कि संसद "सर्वोच्च" है और निर्वाचित प्रतिनिधि ही यह तय करने के अंतिम अधिकारी हैं कि संवैधानिक विषय-वस्तु क्या होनी चाहिए.

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