नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सरकार ने छतरपुर जिले की उप कलेक्टर निशा बांगरे की सरकारी सेवा से इस्तीफा को स्वीकार कर लिया है. बांगरे ने इस साल 22 जून को अपने पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें राज्य सरकार से अपने नवनिर्मित घर के उद्घाटन में शामिल होने की अनुमति नहीं मिली थी. शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के पालन में निशा बांगरे का त्याग पत्र स्वीकार कर लिया. इसके साथ ही विभागीय इनक्वायरी भी समाप्त कर दी है.
निशा बांगरे ने अपने इस्तीफे में लिखा, ''मुझे अपने ही घर के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत नहीं देने के विभाग के पत्र से मैं बहुत आहत हूं. मुझे दर्शन की इजाजत नहीं देने से मेरी धार्मिक भावनाएं भी आहत हुई हैं. इसलिए मैं अपने मौलिक अधिकारों, धार्मिक मान्यताओं और संवैधानिक मूल्यों से समझौता करके सेवा जारी रखना सही नहीं समझती. इसलिए मैं 22 जून को तत्काल प्रभाव से डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देती हूं" निशा बांगरे ने अपना इस्तीफा मंजूर कराने के लिए आमला, बैतूल से सीएम हाउस भोपाल तक 'न्याय पद यात्रा' भी निकाली लेकिन यहां यात्रा की अनुमति नहीं होने का हवाला देकर पुलिस ने उन्हें सीएम हाउस पहुंचने से पहले ही भोपाल में रोक दिया.
अब सवाल यह है कि क्या बैतूल के आमला से कांग्रेस अपना प्रत्याशी बदल सकती है? क्योंकि कांग्रेस ने आमला से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. पहले इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि अपने पद से इस्तीफा देने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को कांग्रेस पार्टी आमला विधानसभा से उम्मीदवार बना सकती है. निशा बांगरे आमला सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी और दावेदारी भी कर रहे थे लेकिन कांग्रेस ने सस्पेंस खत्म करते हुए मनोज मालवे को चुनावी मैदान में उतारा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी इस सीट पर कांग्रेस ने मनोज मालवे को प्रत्याशी बनाया था लेकिन वो बीजेपी प्रत्याशी डॉक्टर योगेश पण्डागरे से नजदीकी अंतर से चुनाव हार गए थे.
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