गुजरात के वडोदरा के एक हाउसिंग सोसायटी में मुस्लिम महिला को फ्लैट लेना भारी पड़ गया. वहां रह रहे स्थानीय लोगों के अनुसार महिला मस्लिम है इसलिए वे लोग इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. यह महिला उद्यमिता कौशल विकास मंत्रालय में काम करती है और वीएमसी ने उस महिला को ये घर मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत अलॉट किया है. अधिकारियों के मुताबिक, एकमात्र मुस्लिम महिला उस सोसायटी में रह रही हैं. वहीं. वडोदरा के कमिश्नर दिलीप राणा इस मामले पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे. उप नगर आयुक्त अर्पित सागर और सोसायटी के अधिकारी नीलेश कुमार परमान ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.
दरअसल, 44 वर्षीय मुस्लिम महिला अपने एक बच्चे के साथ इस सोसायटी में शिफ्ट हुईं थी. महिला का कहना है कि यह विरोध प्रदर्शन सबसे पहले 2020 में शुरू हुआ था, जब यहां के निवासियों ने सीएम कार्यालय को पत्र लिखकर उनके घर के आवंटन को अमान्य करने की मांग की थी. तब हरनी पुलिस ने सभी संबंधित पक्षों का बयान दर्ज करके मामले का निपटारा कर दिया था. हाल ही में 10 जून को भी इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन हुआ था.
सालों से चल रहा है विरोध प्रदर्शन
महिला फिलहाल अपने माता-पिता और बेटे के साथ वडोदरा के दूसरे इलाके में रहती है. एक अखबार से बातचीत में महिला ने कहा, 'मैं वडोदरा के एक मिले-जुले इलाके में पली-बढ़ी हूं, मैं हमेशा से चाहती थी कि मेरा बेटा एक बेहतर माहौल में बड़ा हो लेकिन मेरे सपने टूट गए हैं. क्योंकि लगभग 6 साल हो गए हैं और मेरे सामने जो परेशानी है उसका समाधान नहीं है. मेरा बेटा अब कक्षा 12वीं में है यह उम्र समझने के लिए काफी होती है कि ये सब क्या हो रहा है. ये भेदभाव उसे मानसिक तौर से प्रभावित कर रहा है.'
महिला आगे बताती हैं कि वह इस विरोध के कारण अपनी मेहनत से कमाई गई संपत्ति को ऐसे नहीं बेचना चाहती.
'मैं इंतजार करूंगी'
महिला ने कहा, 'मैं इंतजार करूंगी... मैंने कई बार कॉलोनी की प्रबंध समिति से समय मांगने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि इस विरोध से दो दिन पहले मुझे रखरखाव बकाया राशि के बारे में पूछने के लिए बुलाया. मैंने कहा कि अगर वे मुझे एक निवासी के रूप में प्रमाण पत्र प्रदान करते हैं जो उन्होंने अब तक मुझे नहीं सौंपा है तो मैं इसका भुगतान करने को तैयार हूं.'
उन्होंने आगे कहा, 'वीएमसी ने पहले ही सभी निवासियों से एकमुश्त रखरखाव शुल्क के रूप में 50,000 रुपये एकत्र कर लिए थे, जिसका भुगतान मैं पहले ही कर चुकी हूं. मुझे यकीन नहीं है कि मैं इस समय कानूनी सहारा ले सकती हूं क्योंकि सरकार ने मुझे हाउसिंग कॉलोनी में रहने के अधिकार से इनकार नहीं किया है.'
वहीं, इस विरोध के बीच एक अन्य निवासी ने महिला का साथ देते हुए समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने कहा, 'यह अनुचित है क्योंकि वह एक सरकारी योजना की लाभार्थी हैं और उसे कानूनी प्रावधानों के अनुसार फ्लैट आवंटित किया गया है.'