Republic Day 2024: 26 जनवरी 2024 बेहद खास होने वाला है. क्योंकि पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में स्वदेशी हथियारों की प्रदर्शनी की जाएगी. इससे पहले परेड में विदेशी हथियारों को ही शामिल किया जाता था. हर साल 26 जनवरी के दिन कर्तव्य पथ पर परेड आयोजित की जाती है. इस दौरान सेना अपने दम-खम का प्रदर्शन करती है. देश के कोने-कोने से लोग गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड देखने आते हैं. इस बार का परेड बेहद खास होगा, क्योंकि इस साल के परेड में बड़ी संख्या में "मेक इन इंडिया" हथियारों की झलक देखने को मिलेगी.
प्रचंड एक स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर है जो 16,400 फीट की ऊंचाई तक 20 एमएम की तोप के साथ में 4 अन्य हथियार लेकर उड़ सकता है. भारतीय सेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने मिलकर इसे बनाया है. इसकी ऊंचाई की बात करें तो ये 15.5 फीट ऊंचा और 51.10 फीट लंबा है. 550 किलोमीटर तक इसकी कॉम्बैट रेंज है और ये लगभग 3.15 घंटे तक 268 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से लगातार उड़ सकता है. बता दें, इस तरह के हेलिकॉप्टर की जरूरत सबसे ज्यादा 1999 के कारगिल युद्धह के समय महसूस हुई थी. जिसके बाद साल 2006 में भारतीय सेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसे बनाना शुरू किया और 2010 में इसका पहला ट्रायल किया गया था.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी HAL द्वारा निर्मित ध्रुव हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल भारत की तीनों सेना करती हैं. इस हेलिकोपट को उड़ाने के लिए दो पायलटों की जरूरत होती है और सबसे खास बात ये है कि ये हेलिकॉप्टर हमला करने में भी सक्षम है. इसकी लंबाई 52.1 फीट और ऊंचाई 16.4 फीट है और इसकी मैक्सिमम स्पीड 291 किमी प्रति घंटा है. ध्रुव हेलिकॉप्टर में एक साथ 12 सैनिक बैठ सकते हैं.
पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट एक स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर है. इसकी सबसे खास बात इसकी स्पीड है. ये 44 सेकंड के भीतर 12 रॉकेट दाग सकती है. ये किसी भी मौसम और परिस्थिति में ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. इसका डिजाइन 26 करोड़ रुपए की लागत से डीआरडीओ यानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के लैब आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने तैयार किया है. इसे रूस के मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के विकल्प के तौर पर डिजाइन किया गया था. सबसे पहला इसका इस्तेमाल 1999 में कारगिल युद्ध में किया गया था.
कुछ सालों पहले तक रूस से खरीदे जाने वाले इस टैंक को अब भारत में ही बनाया जाता है. ये टैंक 30mm वाली मशीनगन से लैस होता है और वार करते वक्त 360 डिग्री यानी हर तरफ घूमकर वार कर सकता है. इसके कम वजन की वजह से पहाड़ी इलाकों में ऑपरेशन को आसानी से अंजाम दे सकता है. इसका वजन 14 हजार किलोग्राम है, जिसकी वजह से इसे पहाड़ी इलाकों में ले जाना आसान है. फिलहाल भारत-चीन सीमा पर इस टैंक सबसे ज्यादा तैनाती की गई है.
ये एक मीडियम रेंज की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है. ये कमांड पोस्ट, मल्टी फंक्शन राडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस है. इसे डीआरडीओ ने इजरायल की IAI कंपनी के साथ मिलकर बनाया था. MR-SAM मिसाइल की स्पीड की बात करें तो ये 2448 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से टारगेट पर हमला कर सकती है. इस मिसाइल से धुआं काफी कम होता है, जिसकी वजह से इसे ट्रेस करना मुश्किल होता है. खास बात ये है कि अगर एक बार आसमान में MR-SAM मिसाइल को लॉन्च कर दिया गया तो ये सीधे 16 किमी तक के टारगेट को मार सकती है. इसकी रेंज 100 किमी तक है. जिसका मतलब है कि ये मिसाइल 100 किमी के रेंज में आने वाले दुश्मन यान, विमान, ड्रोन या मिसाइल को निशाना बना सकती है.
T-90 भीष्म टैंक की गिनती दुनिया के सबसे ताकतवर टैंकों में होती है. ये टैंक जंगल, पहाड़, और दलदल में भी तेजी से चल सकता है. पहले इसे रूस से खरीद जाता था, लेकिन अब इसे स्वदेशी तौर पर भारत में ही तैयार किया जाता है. इस टैंक में बस तीन लोग होते हैं- कमांडर, गनर और ड्राइवर. इसका वजन 40 से 48 टन होता है और इसकी लंबाई 9.6 मीटर है और चौड़ाई 2.78 मीटर. ये ज़मीन से 2.22 मीटर ऊंचा चलता है. इसकी रफ्तार 60 किलोमीटर है और इसमें 125 मिलीमीटर की मोटाई वाला स्मूथबोर टैंक गनर लगा हुआ है. जिससे कई तरह के गोले और मिसाइल दागे जा सकते हैं.