भारत और कनाडा के बीच चल रही तनातनी काफी बढ़ गई है. इस बीच वाशिंगटन पोस्ट के एक पोस्ट को लेकर मामला फिर से गर्म होता दिख रहा है. दरअसल इस पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले महीने भारत और कनाडा की एक सीक्रेट मीटिंग हुई थी. जिसमें भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शामिल थे. यह मीटिंग तब हुई थी जब डोभाल पिछले हफ्ते सिंगापुर में थे. वहीं पर कनाडा के अधिकारियों के साथ उनकी सीक्रेट मीटिंग हुई थी.
वहीं इस रिपोर्ट में कनाडाई अधिकारियों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि डोभाल ने शुरू में ऐसा दिखावा किया कि उन्हें लॉरेंस बिश्नोई के बारे में कुछ भी पता नहीं है. बाद में, एनएसए ने स्वीकार किया कि बिश्नोई 'जहां भी कैद है, वहां से हिंसा को अंजाम देने में सक्षम है और अपनी जेल की कोठरी से वह कुछ भी गलत करने के लिए जाना जाता है'. दिलचस्प बात यह है कि जून 2022 में भारतीय उच्चायोग ने गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद पंजाब में हिंसक अपराधों में शामिल गैंगस्टरों के बारे में कनाडा को सचेत किया था. वहीं मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने ली थी.
रिपोर्ट के मुताबिक पांच घंटे तक चली इस बैठक में कनाडा ने भारत सरकार को देश में 'बढ़ती हिंसा' को समाप्त करने के लिए राजी करने का प्रयास किया था. बैठक में कनाडा के सुरक्षा सलाहकार नैथली ड्रोइनिन के अलावा उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के एक वरिष्ठ सदस्य भी शामिल हुए. कनाडाई अधिकारियों ने डोभाल को यह भी बताया कि सिख अलगाववादियों पर हमलों में कथित भारतीय संलिप्तता के विवरण सार्वजनिक होने की संभावना है क्योंकि निज्जर की हत्या के चार संदिग्धों के खिलाफ अगले महीने मुकदमा चलाया जाना है. निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
वहीं अब रिपोर्ट में डोभाल के हवाले से कहा गया है कि 'भारत निज्जर हत्या और कनाडा में किसी भी अन्य हिंसा से किसी भी तरह के संबंध को इनकार करता है अब चाहे सबूत कोई भी हो.'
हालांकि कनाडाई रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित जिन छह भारतीय राजनयिकों को कनाडा छोड़ने के लिए कहा गया था, वे सीधे तौर पर सिख अलगाववादियों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने में शामिल थे, जिन्हें बाद में भारत के प्रतिनिधियों द्वारा मार दिया गया, उन पर हमला किया गया या उन्हें धमकाया गया.
भारत ने इन आरोपों का जोरदार खंडन करते हुए इन्हें बेतुका आरोप बताया और इन्हें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा करार दिया. इस आरोपों के बाद बदले की कार्रवाई करते हुए भारत ने नई दिल्ली में कनाडा के शीर्ष राजनयिक सहित छह कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया है.