यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम से हटाओ अमूल के वीडियो, दिल्ली HC ने क्यों दिया ऐसा आदेश?
दिल्ली हाईकोर्ट ने नोएडा के एक शख्स को अपने सोशल मीडिया अकाउंट से अमूल उत्पादों के बारे में अपमानजनक वीडियो हटाने का आदेश दिया. न्यायालय ने एक्स, यूट्यूब और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म को 36 घंटे के भीतर कंटेंट हटाने का निर्देश दिया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने नोएडा निवासी शख्स को सोशल मीडिया से अमूल उत्पादों के बारे में अपमानजनक वीडियो हटाने का आदेश दिया. यह आदेश अमूल आइसक्रीम टब में सेंटीपीड पाए जाने के वायरल दावे के बाद दिया गया. न्यायालय ने एक्स, यूट्यूब और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म को 36 घंटे के भीतर कंटेंट हटाने का निर्देश दिया. यह फैसला जून में वायरल हुए उस पोस्ट के बाद आया है, जिसमें अमूल आइसक्रीम के डिब्बे में एक सेंटीपेड यानी कनखजूरा होने का दावा किया गया था.
पिछले अदालती आदेशों के बावजूद, नोएडा निवासी अदालत में पेश नहीं हुआ, जिसके कारण उच्च न्यायालय ने एक्स, यूट्यूब और मेटा जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 36 घंटे के भीतर आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया. आदेश में कहा गया कि अगर अमूल को कोई अन्य पोस्ट मिलती है जिसमें ऐसा वीडियो या पोस्ट या उसका कोई हिस्सा अपलोड किया गया है, तो अमूल लिखित संचार द्वारा सोशल मीडिया के ध्यान में लाएगा और संबंधित यूआरएल को 36 घंटे के भीतर हटा दिया जाएगा.
सोशल मीडिया के दुरुपयोग किया गया?
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF) द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए अमूल ने इस निर्णय को ब्रांडों को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया के दुरुपयोग के खिलाफ एक ऐतिहासिक जीत के रूप में सराहा है. अदालत का आदेश जिम्मेदार ऑनलाइन आचरण के महत्व और गलत सूचना फैलाने के संभावित कानूनी परिणामों को रेखांकित करता है. गुजरात के सभी डेयरी यूनियनों के शीर्ष निकाय GCMMF के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा, अमूल के इतिहास में यह अमूल उत्पादों के लिए किसी भी उपभोक्ता द्वारा सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए पहला मील का पत्थर निर्णय है.
कंपनी ने कहा कि कोर्ट के आदेश से यह साफ होता है कि ऑनलाइन जिम्मेदारी से पेश आना कितना जरूरी है और झूठी कहानी फैलाने से कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है. अगर ऐसा किया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.