Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में जहां एक तरफ दर्दनाक मंजर सामने आए, वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की जान बचाई. ऐसी ही एक बहादुरी की कहानी है रईस अहमद भट की, जो उस वक्त मौके पर पहुंचकर घायल पर्यटकों की मदद में जुट गए.
रईस अहमद भट, जो कि पहलगाम में पोनी ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं, हमला होते ही खुद को रोक नहीं पाए. जब उन्हें हमले की सूचना मिली, तो उन्होंने बिना देर किए खुद मौके पर जाने का फैसला किया. उन्होंने कहा, “अगर हम भी मारे गए तो कोई बात नहीं, लेकिन हमें लोगों की मदद करनी है.”
नंगे पांव भागते लोग, चीखती औरतें, चारों तरफ खून ही खून
भट ने बताया कि जब वह घटनास्थल की ओर जा रहे थे, तो रास्ते में उन्हें कई लोग नंगे पांव, कीचड़ से सने, डर के मारे भागते हुए मिले. सबके चेहरे पर खौफ था और सिर्फ एक ही बात बार-बार दोहरा रहे थे – “पानी चाहिए... पानी दो.” रईस ने तुरंत जंगल से गुजर रही एक पानी की पाइप तोड़ी और लोगों को पानी पिलाया, उन्हें तसल्ली दी और सुरक्षित जगह की ओर भेजा.
लाशों के बीच मदद की कोशिश
जब रईस और उनके साथियों ने आगे बढ़ना जारी रखा, तो रास्ते में कई घायल और बेहोश लोग मिले. उन्होंने उन्हें उठाया, घोड़ों पर बिठाया और नीचे सुरक्षित स्थान पर भेजा. रईस ने बताया कि जैसे ही वो मुख्य गेट पर पहुंचे, पहली नजर में ही एक मृत शरीर नजर आया. "मैं 35 साल का हूं, लेकिन आज तक पहलगाम में ऐसा मंजर कभी नहीं देखा," उन्होंने कहा.
महिलाएं अपने पतियों को बचाने की गुहार लगा रही थीं
भीतर जाने पर जो दृश्य रईस ने देखा, वो किसी भी इंसान को झकझोर देने के लिए काफी था. चारों ओर लाशें बिछी थीं और कुछ महिलाएं, रोती-बिलखती, अपने पतियों को बचाने की गुहार लगा रही थीं. फिर भी, रईस और उनके साथी दिल मजबूत करके अंदर घुसे और मदद का सिलसिला जारी रखा.
स्थानीयों ने दिखाई इंसानियत की मिसाल
रईस अकेले नहीं थे. उनके साथ यूनियन के जनरल प्रेसिडेंट अब्दुल वहीद और एक स्थानीय शॉल विक्रेता सज्जाद अहमद भट भी थे. सज्जाद की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वह एक घायल बच्चे को कंधे पर उठाकर ले जा रहे हैं.