उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद से रैट माइनर्स के प्रयासों की चारों तरफ चर्चा हो रही है. उन्होंने 21 घंटे के अंदर 10 से 12 मीटर तक हाथों से खुदाई की थी जिसके बाद वें श्रमिकों तक पहुंचे और आखिर 17 दिनों की मशक्कत के बाद उनको सुरक्षित बाहर निकाला लिया गया.
इससे पहले रैट माइनर वकील हसन ने बताया कि हमने टनल में 18 मीटर अंदर तक पाइप डाला था. हमें 15 मीटर तक पाइप डालना था. लेकिन, जब यह पाइप दूसरी तरफ नहीं निकला तो हमने तीन मीटर तक और मलबा हटाकर पाइप डाला. हमारी टीम में मैं और मुन्ना पार्टनर हैं. बाकी 10 अन्य लड़के वर्कर हैं. पाइप के अंदर घुसकर, लेटकर काम करना होता है. चूहों की तरह काम करते हैं. आगे मिट्टी काटते हैं और उसे पीछे की तरफ फेंकते हैं. इसी तरीके से आगे बढ़ते जाते हैं. टनल के अंदर जब पहली बार मजदूरों से मिले तो वो पल बहुत भावुक था. जैसे रेगिस्तान में एक प्यासा होता है और उसे पानी मिलता है. ठीक यही बात हमारे लिए भी थी. हमने अपना मकसद पूरा किया, इस बात की खुशी है. श्रमिक भी बिना खरोंच के बाहर निकल आए.
बता दें कि 12 नवंबर को उत्तरकाशी में सुरंग ढहने से 41 श्रमिक सुरंग में फंस गए थे. जिनको 17 दिन बाद बड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित निकाल लिया गया है. इन 41 श्रमिकों में से आठ उत्तर प्रदेश से, 15 झारखंड से, पांच बिहार से, तीन पश्चिम बंगाल से, पांच उडीशा से, दो असम से और एक हिमाचल प्रदेश से है. श्रमिकों को कई दर्दनाक असफलताओं के बाद बाहर लाया गया है. लेकिन केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सहयोग से इस कार्य को सफल बनाया गया और सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.