Uttarkashi Tunnel Rescue: रैट होल माइनर्स ने काम के लिए नहीं लिया पैसा, बताया कैसा था अंदर का माहौल
Uttarkashi Tunnel Rescue : मजदूरों तक सबसे पहले रैट होल माइनर्स पहुंचे. उन्होंने अपना अनुभव साझा किया. बताया कि किस तरह से मजदूरों का रिएक्शन था. आइए जानते हैं.
Uttarkashi Tunnel Rescue : जब पूरा देश 12 नवंबर को दीपों का पर्व दीपावली का त्योहार मना रहा था तो दूसरी ओर उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग धंसने की वजह से 41 मजदूर टनल के अंदर ही फंस गए थे. 17वें दिन उन्हें सकुशल बाहर निकाला गया. ये रेस्क्यू ऑपरेशन हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. पूरा देश मजदूरों के लिए दुआ कर रहा था. मजदूरों तक सबसे पहले रैट होल माइनर्स पहुंचे. उन्होंने अपना अनुभव साझा किया. बताया कि किस तरह से मजदूरों का रिएक्शन था. आइए जानते हैं.
रैट माइनर्स ने संभाला मोर्चा
ऑगर मशीन के जरिए के जरिए ड्रिलिंग करके मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश थी. कुछ मीटर पहले ही मशीन खराब हो गई. इसके बाद वर्टिकल ड्रिलिंग कराई गई. और अंत में रैट होल माइनिंग एक्सपर्ट्स को बुलाया गया. आखिरी दो मीटर की खुदाई हाथ से रैट होल माइनर्स ने की.
काम के लिए नहीं लिए पैसे
12 सदस्यीय रैट माइनर्स टीम को वकील हसन लीड कर रहे थे. उन्होंने बताया कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए उनसे 4 दिन पहले संपर्क किया गया था. हमने सोमवार को दोपहर 3 बजे अपना रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और मंगलवार शाम बजे तक हम मजदूरों तक पहुंच गएं और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालकर ऑपरेशन को सफल बनाया.
वकील हसन ने कहा, हमने पहले ही बताया था कि इस काम के लिए 24 से 36 घंटे का समय लगेगा. हमने इस काम के लिए पैसा नहीं लिया.
12 नवंबर को सुरंग धंसने से 41 मजदूर फंस गए थे. उन्हें बाहर निकालने के लिए तेजी के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. बड़ी-बड़ी मशीनों की मदद ली गई. परिस्थितियां इतनी अनुकूल थी कि ऑगर मशीन भी टूट गई. पहले होरिजेंटल ड्रिलिंग की गई फिर बाद वर्टिकल ड्रिलिंग और रैट माइनर्स की मदद से मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया.